मित्रो !
पिछले दिनों इसी मंच पर अपनी एक व्यंग्य व्यथा : वैलेन्टाइन डे :चौथी कसम : लगाई थी
जिसका वाचन हिंदी कवयित्री और लेखिका डा0 अर्चना पांडेय जी ने अपनी आवाज़ मे किया है
जो आप लोगो के श्रवणार्थ और टिप्पणी हेतु इस मंच पर लगा रहा हूँ।
जिसका ’लिंक; नीचे लगा रहा हूँ
https://www.youtube.com/watch?v=3PpjoJ1GUMA
यह उनका प्रथम प्रयास है।
वैसे हिंदी मंच से व्यंग्य वाचन परम्परा कभी प्रसिद्ध व्यंग्यकार आ0[स्व0] के0पी0 सक्सेना जी और
आ0 [ स्व0] शरद जोशी जी ने शुरु किया था ,मगर यह विधा परवान न चढ़ सकी।
संप्रति, प्रसिद्ध व्यंग्यकार आ0 सम्पत सरल जी ने इसे कुछ हद तक इसे जीवन्त बनाए रखा है और यू-ट्यूब पर बहुत सी उनकी
कड़ियां उपलब्ध हैं। देखा जा सकता है।
उर्दू साहित्य में वैसे यह परम्परा "दास्तानगोई" या "किस्सागोई बहुत पहले थी । अब यह परम्परा धीरे धीरे लुप्त
होती जा रही है।
इसी परम्परा की नव वाहिका डा0 अर्चना पांडेय जी को इस प्रथम प्रयास को मेरी सतत शुभ कामनाए॥आप लोग भी अपनी राय दें।
सादर
-आनन्द.पाठक-
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