रिपोर्ताज

शुक्रवार, 15 मई 2009

विविध 01 : हाइकू

हाइकू
सांझ सकारे
याद तुम्हारी आई
तुम्हे पुकारे
-- --
बच्चों की टोली
छू माँ का आँचल
करे ठिठोली
+ +
गरीबी रेखा
बढ़ती हुई दिखी
जिधर देखा
* *
नन्ही चिडियां
खेल रही आँगन
जैसे गुडिया

-आनन्द पाठक-

2 टिप्‍पणियां:

  1. bahut khoob haiku, main to nano kavita kahunga. bahut sunder.

    सांझ सकारे
    याद तुम्हारी आई
    तुम्हे पुकारे

    wah.

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  2. स्थूल तन,
    पत्थर के मकान,
    पत्थर दिल.

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