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सोमवार, 1 दिसंबर 2025
ग़ज़ल 450 [ 24-G] : जिधर ज़र है, तुम्हे तो बस--
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ग़ज़ल 450 [ 24-जी] : जिधर ज़र है, तुम्हे तो बस-- 1222---1222---1222 जिधर ज़र है, तुम्हें तो बस उधर जाना कि अपना क्या, है अपना दिल फ़क़ीराना ।...
रविवार, 23 नवंबर 2025
ग़ज़ल 449[23-G) : ग़रज़ थी उनकी --
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ग़ज़ल 449[23-जी] : ग़रज़ थी उनकी -- 1212---1122---1212---22 ग़रज़ थी उनकी, उन्हे जब मेरी ज़रूरत थी हर एक बात में उनकी, भरी हलावत थी । चलो कि लौट...
शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025
अनुभूतिया 184/71
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अनुभूतिया 184/71 :1: माली अगर सँवारे गुलशन प्रेम भाव से मनोयोग से । ख़ुशबू फ़ैले दूर दूर तक डाली डाली के सुयोग से। :2: बदले कितने रूप शब्द ने...
मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025
ग़ज़ल 448 [22-G] : तुम्हारे झूठ का हम ऎतबार क्या करते--
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ग़ज़ल 448 [22-जी] : तुम्हारे झूठ का हम ऎतबार क्या करते-- 1212---1122---1212---22 तुम्हारे झूठ का हम ऐतबार क्या करते कहोगे सच न जो तुम, इन्तज़ा...
रविवार, 19 अक्टूबर 2025
ग़ज़ल 447 [21-जी] : बाग़ मेरा न यूँ लुटा होता
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ग़ज़ल 447[21-जी] : बाग़ मेरा यूँ न लुटा होता 2122---1212---22 बाग़ मेरा न यूँ लुटा होता बाग़बाँ जो जगा रहा होता । हाल ग़ैरों से ही सुना तुमने , ह...
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