गीत ग़ज़ल और माहिए ------
पेज
(यहां ले जाएं ...)
मुखपृष्ठ
अनुभूतियाँ
ग़ज़लें
कविताएँ
विविध
माहिए
गीत
कतरन
आवाज़ का सफ़र
▼
बुधवार, 15 मई 2024
ग़ज़ल 368/13-अ : क्या मुझको समझना है
›
ग़ज़ल 368/13-अ 221---1222//221---1222 क्या मुझको समझना है, क्या तुमको बताना है किरदार अधूरा है, झूठा ये फ़साना है । इस एक निज़ामत के, तुम एक अ...
मंगलवार, 14 मई 2024
ग़ज़ल 367 : इज़हार-ए-मुहब्बत के आदाब हुआ करते
›
ग़ज़ल 367 221---1222-// 221--1222 इज़हार-ए-मुहब्बत के आदाब हुआ करते, अपनी तो सुनाते हो, मेरी भी सुना करते। कहने को कहो जो भी, होना था यही आख़िर,...
रविवार, 12 मई 2024
ग़ज़ल 366/47अ : मुशकिल है बहुत मुशकिल
›
ग़ज़ल 366/ 47-अ 221---1222// 221-1222 मुश्किल है बहुत मुश्किल अपनों से विदा लेना नायाब हैं ये आँसू, पलकों में छुपा लेना । किस दिल में तुम्हे ...
शनिवार, 11 मई 2024
ग़ज़ल 365 : अच्छा हुआ कि आप जो
›
ग़ज़ल 365 221---2121---1221---212 अच्छा हुआ कि आप जो आए नहीं इधर कुछ लोग हाथ मे लिए पत्थर , मचान पर। श्रद्धा के नाम पर खड़ी अंधों की भीड़ है ...
मुक्तक 10 [ चुनावी]
›
मुक्तक 10 : चुनावी मुक्तक 10 : चुनावी मुक्तक :1: राजतिलक की है तैयारी सब ही माँगे भागीदारी , एक हमी तो ’हरिश्चन्द्र; हैं बाक़ी सब हैं भ्रष्ट...
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें