रिपोर्ताज

शुक्रवार, 5 जून 2009

हास्य क्षणिका...

हास्यिका : हो जाए कुछ हल्का- फुल्का मिर्च-मसला
बैठे- ठाले 'आनंद' जी ने क्या लिख डाला
सावुनी दोहे
'चारित्रिक व्यक्तित्व पर जो कीचड लग जाय
'सर्फ़-अल्ट्रा' से धोइए श्वेत-धवल हो जाय

साबुन मल-मल जग मुआ धवल वस्त्र न होय
एक हाथ 'ओ0के०' मल्यौ धवल-धवल ही होय

लडकी देखन जाईहौ वस्त्र लिहौ चमकाय
'हरा डिटर्जेंट व्हील ' का इज्ज़त लिऔ बचाय

'सुपर-सर्फ़ से धुल गयौ भ्रष्टाचार लकीर
दाग ढूढते रह गए साधू - संत - फकीर

नशा चढ़ गया फिल्म का टूटा उनका मौन
हर कन्या से पूछते हम आप के कौन

-आनंद

1 टिप्पणी:

  1. साबुनी दोहे लिखे विज्ञापन है मूल।
    ब्लागिंग से रिश्ता बना भला गए क्यों भूल।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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