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रविवार, 15 नवंबर 2009

गीत 18 : सजीली साँझ का मौसम

एक गीत :सजीली साँझ का मौसम

सजीली साँझ का मौसम ,रंगीली रात का मौसम

उनीदी अधखुली पलकें
कपोलों पर झुकीं अलकें
पुरानी याद का मौसम, अधूरी बात का मौसम
सजीली साँझ का मौसम......

नयन में खिल रहे काजल
लहरता सुरमुई आँचल
तुम्हारे साथ का मौसम ,नई सौगात का मौसम
सजीली साँझ का मौसम.....

कोई मासूम बन बैठा
कोई यूँ ही गया लूटा
दिले बर्बाद का मौसम, खुले ज़ज़्बात का मौसम
सजीली साँझ का मौसम....

दबा कर होंठ के कोने
लगा दिल को मिरे छूने
बहकते राह का मौसम ,अजब हालात का मौसम
सजीली साँझ का मौसम.....

3 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा लिखा है आपने । सहज विचार, संवेदनशीलता और रचना शिल्प की कलात्मकता प्रभावित करती है ।

    मैने भी अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-घरेलू हिंसा से लहूलुहान महिलाओं का तन और मन-समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें ।
    http://www.ashokvichar.blogspot.com

    कविताओं पर भी आपकी राय अपेक्षित है। कविता का ब्लाग है-
    http://drashokpriyaranjan.blogspot.com

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  2. आ० योगेश जी
    आ० अशोक जी
    गीत की सराहना के लिए धन्यवाद
    सादर
    -आनन्द

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