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बुधवार, 16 दिसंबर 2015

चन्द माहिया : क़िस्त 25


 

माहिए: क़िस्त 25 ओके

 

1

टूटा जो खिलौना है

ये तो होना था

किस बात का रोना है ?

 

2

नाशाद है खिल कर भी

प्यासी है नदिया

सागर से मिल कर भी

 

3

कुछ दर्द दबा रखना

मोती-से आँसू

पलकों में छुपा रखना

 

4

इतना तो बता देते

क्या थी ख़ता मेरी ?

फिर जो भी सज़ा देते

 

5

बस हाथ मिलाते हो

एक छलावा सा

रिश्ता न निभाते हो


                                        सं 21-10-20

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