अनुभूतियाँ 002 ok
005
क्यों याद करूँउस दुनिया को ,
जिस दुनिया ने छोड़ा मुझको,
दिल से जुड़ने की चाहत थी,
बस अपनो ने तोड़ा मुझको।
006
मैं फूल बिछाता रहा इधर,
वो काँटों पर काँटे बोए,
जब मै रोया तनहाई में
ये दुनिया वाले कब रोए ?
007
फूलों की अपनी मर्यादा
गुलशन में रहना होता है,
तूफ़ाँ, बिजली, झंझावातें
फूलों को सहना होता है।
008
दुनिया ने जब समझा ही नहीं
मै और अधिक क्या समझाता
क्या और सफ़ाई मैं देता,
दुनिया को क्या क्या बतलाता।
-आनन्द.पाठक-
इन अनुभूतियॊं को आप यहाँ सुन सकते हैं
https://youtu.be/CR04_kyQCpQ
अपना दुखड़ा खुद ही झेलना होता है अकेले-अकेले
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति