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मंगलवार, 10 सितंबर 2024
कविता 24 : बदलते रिश्ते
कविता 24 :
बदलते रिश्ते
नहीं उतरते आसमान से
कहीं फ़रिश्ते
नहीं दिखाते सच के रस्ते
लोग यहाँ ख़ुद गर्ज़ है इतने
बदले जैसे कपड़े, वैसे
रोज़ बदलते रहते रिश्ते ।
-आनन्द.पाठक-
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