रिपोर्ताज

गुरुवार, 17 जुलाई 2025

चंद माहिए 110/20

:1: 
बारिश लगती है भली
खेल रहे बच्चे
कागज की नाव चली

:2:
सबने है ये माना
पिंजरे से इक दिन
पंछी को उड़ जाना ।

:3:
क्यॊं आँखें हैं पुरनम
लेकर चलती हो
क्यों दुनिया भर का ग़म ।

:4:
सावन भी अब बीता
आई न जब तुम तो
मौसम फ़ीका फ़ीका ।

:5:
फिर घिर आए बादल
भीगेंगा जब तन
मन फिर होगा पागल ।

-आनन्द.पाठक-

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