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गुरुवार, 28 मार्च 2013

एक ग़ज़ल 42 [31 A] : क्या करेंगे आप से हम याचनायें...

ग़ज़ल 42[31A] : क्या करेंगे आप से हम ....


फ़ाइलातुन---फ़ाइलातुन--फ़ाइलातुन

2122---2122---2122

क्या करेंगे आप से  हम याचनाएँ
लौट कर आने लगी है जब सदाएँ

जो मिला अनुदान रिश्वत में बँटा है
’फ़ाइलों’ में बंद हैं परियोजनाएँ

आइने हैं पत्थरों के शहर में जो
डर है यह वो भी कहीं अब बिक न जाएँ


रोशनी के नाम दरवाजे खुले क्या
हादिसों की बढ़ गईं संभावनाएँ

चाहता है जो कहे, कुछ भी कहे वह
हर समय हम ’हाँ’ में उसकी ’हाँ’ मिलाएँ

आम जनता है बहुत कुछ देखती है
सब समझती है चुनावी घोषणाएँ

वो इशारों में नहीं समझेगा ’आनन’
हैसियत जब तक नहीं उसकी बताएँ


-आनन.पाठक-

[सं 05-10-18]

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