अनुभूतिया 184/71
:1:
माली अगर सँवारे गुलशन
प्रेम भाव से मनोयोग से ।
ख़ुशबू फ़ैले दूर दूर तक
डाली डाली के सुयोग से।
:2:
बदले कितने रूप शब्द ने
तत्सम से लेकर तदभव तक
कितने क्रम से गुज़रा करतीं
जड़ी बूटियाँ ज्यों आसव तक ॥
बदले कितने रूप शब्द ने
तत्सम से लेकर तदभव तक
कितने क्रम से गुज़रा करतीं
जड़ी बूटियाँ ज्यों आसव तक ॥
3
सबका अपना अपना जीवन
सुख दुख सबके अपने अपने
सबकी अपनी अपनी मंजिल
कुछ हासिल कुछ टूटे सपने
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