शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025

अनुभूतिया 184/71

 अनुभूतिया 184/71

:1:
माली अगर सँवारे गुलशन
प्रेम भाव से मनोयोग से ।
ख़ुशबू फ़ैले दूर दूर तक
डाली डाली के सुयोग से।

:2:
बदले कितने रूप शब्द ने
तत्सम से लेकर तदभव तक
कितने क्रम से गुज़रा करतीं
जड़ी बूटियाँ ज्यों आसव तक ॥

3
सबका अपना अपना जीवन
सुख दुख सबके अपने अपने
सबकी अपनी अपनी मंजिल
कुछ हासिल कुछ टूटे सपने

कोई टिप्पणी नहीं: