ग़ज़ल 217
221--1222 // 221-1222
जीवन के सफ़र में यूँ , तूफ़ान बहुत होंगे
बंदिश भी बहुत होंगी, अरमान बहुत होंगे
घबरा के न रुक जाना ,दुनिया के मसाइल से
दस राह निकलने के इमकान बहुत होंगे
लोगों की बुरी नज़रें, बाग़ों में, बहारों पर
गुलशन की तबाही के अभियान बहुत होंगे
जो चाँद सितारों की बातों में है खो जाते
वो सख़्त हक़ीक़त से अनजाब बहुत होंगे
कुछ आग लगाते हैं, कुछ लोग हवा देते
इनसान ज़रा ढूँढों, इनसान बहुत होंगे
ताक़त वो मुहब्बत की पत्थर को ज़ुबाँ दे दे
जिनको न यकीं होगा, हैरान बहुत होंगे
हर मोड़ कसौटी है इस राह-ए-तलब ’आनन’
जो सूद-ओ-ज़ियाँ देखे, नादान बहुत होंगे
-आनन्द.पाठक-