सुख का मौसम, दुख का मौसम, आँधी-पानी का हो मौसम मौसम का आना-जाना है , मौसम है मौसम बदलेगा ।
अगर कभी हो फ़ुरसत में तो, उसकी आँखों में पढ़ लेना जिसकी आँखों में सपने थे जिसे ज़माने ने लू्टे हों , आँसू जिसके सूख गए हो, आँखें जिसकी सूनी सूनी और किसी से क्या कहता वह, विधिना ही जिसके रूठें हो। दर्द अगर हो दिल में गहरा, आहों में पुरज़ोर असर हो चाहे जितना पत्थर दिल हो, आज नहीं तो कल पिघलेगा । -- कल पिघलेगा।
दुनिया क्या है ? जादूघर है, रोज़ तमाशा होता रहता देख रहे हैं जो कुछ हम तुम, जागी आँखों के सपने हैं रिश्ते सभी छलावा भर हैं, जबतक मतलब साथ रहेंगे जिसको अपना समझ रहे हो, वो सब कब होते अपने हैं॥
जीवन की आपाधापी में, दौड़ दौड़ कर जो भी जोड़ा चाहे जितना मुठ्ठी कस लो, जो भी कमाया सब फिसलेगा । --सब फ़िसलेगा।
जैसा सोचा वैसा जीवन, कब मिलता है, कब होता है, जीवन है तो लगा रहेगा, हँसना, रोना, खोना, पाना। काल चक्र चलता रहता है. रुकता नहीं कभी यह पल भर ठोकर खाना, उठ कर चलना, हिम्मत खो कर बैठ न जाना ।
आशा की हो एक किरन भी और अगर हो हिम्मत दिल में चाहे जितना घना अँधेरा, एक नया सूरज निकलेगा । --- एक सूरज निकलेगा।
विश्वबन्धु, सोने की चिड़िया, विश्वगुरु सब बातें अच्छी, रामराज्य की एक कल्पना, जन-गण-मन को हुलसा देती , अपना वतन चमन है अपना, हरा भरा है खुशियों वाला लेकिन नफ़रत की चिंगारी बस्ती बस्ती झुलसा देती ।
जीवन है इक सख्त हक़ीक़त देश अगर है तो हम सब हैं झूठे सपनों की दुनिया से कबतक अपना दिल बहलेगा । --- दिल बहलेगा।
रिपोर्ताज़ 10 : :मेरी किताब : सुन मेरे माही !- का प्रकाशन के संदर्भ में
एक सूचना = पुस्तक
प्रकाशन के सन्दर्भ में
मित्रो !
सूचित करते हुए हर्ष की अनुभूति हो रही है कि आप लोगों के आशीर्वाद और शुभकामनाओं से मेरी सातवींपुस्तक -" सुन, मेरे माही ! "-
[ माहिया- संग्रह ] प्रकाशित हो कर आ गई ।
इस से पूर्व मेरी -6-पुस्तकें [ 3- कविता/ग़ज़ल/गीत संग्रह और 3-
हास्य व्यंग्य़ संग्रह] प्रकाशित हो चुकी हैं । इन सभी पुस्तकों का
प्रकाशन "अयन प्रकाशन, नई
दिल्ली " ने किया है ।
"अयन-प्रकाशन’ को इस हेतु
बहुत बहुत धन्यवाद।
इस संग्रह में मेरी 450 माहिए संकलित
है जिसमे से कुछ माहिए आप लोगो ने इस मंच पर समय समय पर अवश्य पढ़ी होंगी ।
इस संग्रह में मैने माहिए के उदभव, विकास और माहिए के वज़न और बह्र के
बारे में भी चर्चा की है।
आशा करता हूँ कि इस संग्रह को भी पूर्व की भाँति आप सभी लोगो का
स्नेह और आशीर्वाद मिलता रहेगा।
पुस्तक प्राप्ति के लिए अयन प्रकाशन से सम्पर्क किया जा सकता है ।
उनका पता है संलग्न है ।
whatsapp no = 92113 12372
[ संजय जी ]
{नोट :
प्रकाशक यह पुस्तक शीघ्र ही Amazon पर उपलब्ध करा देगा ]