सौभाग्य हमारा है इतना
इस संधि-काल के साक्षी हैं
जो बीता जैसा भी बीता
पर स्वर्ण-काल आकांक्षी है
यह भारत भूमि हमारी भगवन! हो जाए कानन-नंदन
नव-वर्ष तुम्हारा............
ले आशाओं की प्रथम किरण
हम करें नए संकल्प वरण
हम प्रगति-मार्ग रखते जाएँ
विश्वास भरे नित नए चरण
भावी पीढ़ी कल्याण हेतु आओ मिल करे मनन -चिंतन
नव-वर्ष तुम्हारा ............
अस्थिर करने को आतुर हैं
कुछ बाह्य शक्तियाँ भारत को
आतंकवाद का भस्मासुर
दे रहा चुनौती ताकत को
विध्वंसी का विध्वंस करें ,हम करे सृजन का सिरजन
नव-वर्ष तुम्हारा..................
लेकर अपनी स्वर्णिम किरणें
लेकर अपना मधुमय बिहान
जन-जग मानस पर छा जाओ
हे ! मानव के आशा महान
हम स्वागत क्रम में प्रस्तुत है , ले कर अक्षत-रोली-चंदन
नव-वर्ष तुम्हारा ,....
हम श्वेत कबूतर के पोषक
हम गीत प्रेम का गाते है
हम राम-कृष्ण भगवान्
बुद्ध का चिर संदेश सुनाते हैं
'सर्वे भवन्तु सुखिन:' कल्याण विश्व का संवर्धन
नव-वर्ष तुम्हारा ..........