:1:
क्यों फ़िक़्र-ए-क़यामत हो
हुस्न रहे ज़िन्दा
और इश्क़ सलामत हो
:2:
ऐसे तो नहीं थे तुम
तुम को मैं ढूँढू
और तुम हो जाओ गुम
:3:
जो तुम से मिला होता
लुट कर भी ,मुझ को
तुम से न गिला होगा
:4:
उनको न पता शायद
याद में उनके हूं~
खुद से भी जुदा शायद
:5
आलिम है ज्ञानी है
पूछ रहा सब से
क्या इश्क़ के मा’नी है ?
-आनन्द.पाठक