ग़ज़लें

ग़ज़ल 001 :चाँदी की तश्तरी में --        -65A                =
ग़ज़ल 002 : प्यास मन की बढ़ाती रही मछलियाँ -90E   =      
ग़ज़ल 003 : पंडित ने कहा इधर से है---66A                 =
ग़ज़ल 004 : मोहन के बाँसुरी की---       61A                 =
ग़ज़ल 005 : तुम मिली तो मिली ज़िन्दगी---        02B      =
ग़ज़ल 006 : ज़माने की अगर हम बेरुख़ी से---   01B
ग़ज़ल 007 : हमें मालूम है संसद में फिर 02A
ग़ज़ल 008 : ईमान कहाँ देखा ---            18A
ग़ज़ल 009 : आँधियों से न कोई गिला---             06B
ग़ज़ल 010 : रक़ीबों से क्या आप फ़रमा ----       07B
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ग़ज़ल 011 : यहाँ लोगों की आँखों में --               08B
ग़ज़ल 012 : जुनून-ए-इश्क़ में हमने                   09B
ग़ज़ल 013 : लबों पर दुआएँ--                            10B
ग़ज़ल 014 :जहाँ पर तुम्हारे सितम --                 05B
ग़ज़ल 015: ग़म-ए-दौराँ से--                              11B
ग़ज़ल 016 : तुमको ख़ुदा कहा है--                     12B
ग़ज़ल 017 : चलो छोड़ देंगे --                            13B
ग़ज़ल 018 : न पर्दा उठेगा--                              14B
ग़ज़ल 019 : वह उसूलों पर चला है --08A
ग़ज़ल 020 : संदिग्ध आचरण है ---   29A
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ग़ज़ल 021 : लहरों के साथ वह भी--  46A
ग़ज़ल 022 : मुहब्बत की जादू बयानी न--           15B
ग़ज़ल 023 :आते नहीं है मुझको--                      16B
ग़ज़ल 024 : जब से उनकी आत्मा है-- 45A
ग़ज़ल 025 : चुनावों के मौसम --                        18B
ग़ज़ल 026 : आप इतना ख़ौफ़ क्यों                     19B
ग़ज़ल 027 : मैं इस शह्र-ए-उमरा में--                  17B
ग़ज़ल 028 : पागलों सी बात करता है--11A
ग़ज़ल 029 : सोचता हूँ इस शह्र में --    23A
ग़ज़ल 030 : लोग अपनी ही सुनाने में ---                            37C
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ज़ल 031 :  ऐसी भी हो ख़बर--                            20B
ग़ज़ल 032 : ख़यालों में जब से वो आने ---               21B
ग़ज़ल 033 : वो मुखौटे बदलता रहा --                    22B
ग़ज़ल 034 : महल की बुनियाद--         37A
ग़ज़ल 035: लोग अपनी बात कह कर --                  23B
ग़ज़ल 036 : इज़हार-ए-मुहब्बत के--                       24B
ग़ज़ल 037 : वह आम आदमी है --                          25B
ग़ज़ल 038 : बदली हुई जो आप की--   56A
ग़ज़ल 039 : आप मुझको सामने पाते--  54A
ग़ज़ल 040 : बहुत से रंज़-ओ-ग़म ऐसे --                    26B
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ग़ज़ल 041 : कोई नदी जो उनके दर से--09A
ग़ज़ल 042 : क्या करेंगे आप से हम--     31A
ग़ज़ल 043 : चौक पे कन्दील जब ---                        27B
ग़ज़ल 044 : मेरे ग़म में वो आँसू बहाने लगे                28B
ग़ज़ल 045 : फिर जली कुछ बस्तियाँ      03A
ग़ज़ल 046 : रोशनी से कब तलक---                        29B
ग़ज़ल 047 :वो चाहता है तीरगी--                             04B
ग़ज़ल 048 : दर्द-ए-उल्फ़त है ---                             37B
ग़ज़ल 049 : आदर्श की किताबें---                           31B
ग़ज़ल 050 : वो शहादत पे सियासत --                     33B
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ग़ज़ल 051 : आप हुस्न-ओ-शबाब रखते हैं                32B
ग़ज़ल 052 : गो धूप तो हुई है---                               35B                           
ग़ज़ल 053 : तुम्हारा शौक़ ये होगा--                         36B
ग़ज़ल 054 : मेरे दिल की धड़कन ने--                      03B
ग़ज़ल 055 : नाम ले कर बुला गया कोई--                30B
ग़ज़ल 056 :ये बाद-ए-सबा है--                                       02C
ग़ज़ल 057 :राह अपनी वो चलता--
ग़ज़ल 058 : इक धुआँ सा उठा दिया--                            03C
ग़ज़ल 059 :अब तो उठिए बहुत सो लिए--                       04C
ग़ज़ल 060 :वही मुद्दे वही वादे                                         05C
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ग़ज़ल 061 : आज फिर से मुहब्बत                                  06C
ग़ज़ल 062 : ऐसे समा गए हो                                          07C
ग़ज़ल 063 : तलाश जिसकी थी                                       08C
ग़ज़ल 064 :  चेहरे पे था निक़ाब---                                  09C
ग़ज़ल 065 : फिर से नये चिराग़ जलाने--                          11C
ग़ज़ल 066 : दो दिल की दूरियों से--                                 10C
ग़ज़ल 067 : इधर गया या उधर गया--                             36C
ग़ज़ल 068 : रूठे हुए हैं यार--                                        32C
ग़ज़ल 069 :औरों की तरह हाँ में मैने--                            14C
ग़ज़ल 070 : जादू है तो उतरेगा ही--                                15C
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ग़ज़ल 071  :तेरे बग़ैर भी कोई तो --                                16C
ग़ज़ल 072 : और कुछ कर या न कर--                            17C
ग़ज़ल 073 : रास्ता इक और आएगा निकल--                   18C
ग़ज़ल 074 : अगर आप जीवन में होते न दाख़िल--            19C 
ग़ज़ल 075 : वो जो राह-ए-हक़ चला है उम्र भर--             20C
ग़ज़ल 076 : उन्हे हाल अपना सुनाते भी क्या--                21C
ग़ज़ल 077 : कहाँ तक रोकता दिल को--                        23C
ग़ज़ल 078 : इलाही ये कैसा मंज़र है-                            24C
ग़ज़ल 079 : यूँ तो तेरी गली से---                                   25C
ग़ज़ल 080 : अगर सोच में तेरी पाकीजगी है--                26C
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ग़ज़ल 081 : सपनों में लोकपाल था--                            28C
ग़ज़ल 082 : निक़ाब-ए-रुख़ से--                                   27C
ग़ज़ल 083 : नहीं उतरेगा अन कोई फ़रिश्ता--               30C
ग़ज़ल 084 : जो जागे हुए हैं--                                        29C
ग़ज़ल 085 : यकीं  होगा नहीं तुम को--                         31C
ग़ज़ल 086 : हौसला है दो हथेली है--                            32C
ग़ज़ल 087 : मेरे भी ’फ़ेसबुक’ पे  -[मज़ाहिया]             33C
ग़ज़ल 088 : ज़िन्दगी ना हुई बेवफ़ा आजतक--              34C
ग़ज़ल 089 : मिल जाओ अगर तुम तो--                        42C
ग़ज़ल 090 : कहने को कह रहा है--                            45C
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ग़ज़ल 091 : दिल न रोशन हुआ--                                43C
ग़ज़ल 092 : वो जो चढ़ रहा था--
ग़ज़ल 093 : ये गुलशन तो सभी का है--                      39C
ग़ज़ल 094 : बहुत हो चुकी     --                                40C
ग़ज़ल 095 : छुपाते ही रहे--                                     44C
ग़ज़ल 096 : मिलेगा जब भी वो हम से--                     41C
ग़ज़ल 097 : ये कैसी रस्म-ए-उल्फ़त है--                    46C
ग़ज़ल 098 : कौन बेदाग़ है दाग़ दामन नहीं--            50C
ग़ज़ल 099 : ये आँधी ये तूफ़ाँ--                                47C
ग़ज़ल 100 : आँख मेरी भले अश्क से नम नहीं--        48C
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ग़ज़ल 101 : झूठ का जब धुआँ---                            49C
ग़ज़ल 102 : पयाम-ए-उलफ़त मिला तो होगा--        22C
ग़ज़ल 103 : हुस्न उनका जल्वागर था--
ग़ज़ल 104 : जड़ों तक साजिशें गहरी--      04A
ग़ज़ल 105 : वातानुकूलित आप ने आश्रम--55A
ग़ज़ल 106 : तुम भीड़ ख़रीदी देखे हो--       05A
ग़ज़ल 107 : एक समन्दर मेरे अन्दर--                        01C
ग़ज़ल 108 : वक़्त सब एक सा नहीं रहता--
ग़ज़ल 109 : आज इतनी मिली है ख़ुशी आप से--   109C
ग़ज़ल 110 : राम की बात करते हैं--                       110C
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ग़ज़ल 111 : लोग क्या क्या नहीं कहा करते--             38C
ग़ज़ल 112 : इधर आना नहीं ज़ाहिद--                    112C
ग़ज़ल 113 : हाथ क्या उनसे मिलाते--                    34B
ग़ज़ल 114 : आदमी से क़ीमती हैं कुर्सियाँ    22A
ग़ज़ल 115 : बेसबब उनको जो मेहरबाँ देखा--24A
ग़ज़ल 116 : रोशनी के नाम से डरता है--        25A
ग़ज़ल 117 : कहाँ आवाज़ होती है --                    117C
ग़ज़ल 118 : रँगा चेहरा--                                    118C
ग़ज़ल 119 : झूठ का है जो फ़ैला--
ग़ज़ल 120 : दुनिया से जब चलूँ मैं-                   26A
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ग़ज़ल 121 : सपनों के रखे गिरवी--                07A
ग़ज़ल 122 : हुस्न हर उम्र में जवाँ देखा--    50A
ग़ज़ल 123 : साज़िश थी अमीरों की--            10A
ग़ज़ल 124 : सलामत पाँव हैं जिन के--            12A
ग़ज़ल 125 : जान-ए-जानाँ से मैं क्या माँगू--                
ग़ज़ल 126 : मैं अपना ग़म सुनाता हूँ--                        02 DS
ग़ज़ल 127 : सब को अपनी अपनी पड़ी है -                99 D
ग़ज़ल 128 : इश्क़ करना ख़ता क्यों है--                      44 D
ग़ज़ल 129 : दुश्मनी कब तक निभाओगे कहाँ तक      05DS
ग़ज़ल 130 : क़ानून की नज़र में --                              06DS
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ग़ज़ल 131 : झूठ इतना इस तरह बोला गया--              07DS
ग़ज़ल 132 : भले ज़िन्दगी से हज़ारों शिकायत--            08DS
ग़ज़ल 133 : मेरे जानाँ न आज़मा मुझ को--                  09DS
ग़ज़ल 134 :  नहीं जानता मैं कौन हूँ                            10DS
ग़ज़ल 135 : तेरे हुस्न की सादगी --                              11DS
ग़ज़ल 136 : तुम्हारे हुस्न से जलती हैं--                         12DS
ग़ज़ल 137 : क्या कहूँ मैने किस पे लिखी है ग़ज़ल--      13DS
ग़ज़ल 138 : दिल खुद ही तुम्हारा आदिल है--              14D
ग़ज़ल 139 : दिल में इक अक्स जब उतरा--                15D
ग़ज़ल 140 : आदमी का कोई अब भरोसा नहीं-           16D
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ग़ज़ल 141 : धूल की पर्त जो  उतर जाए--                    17D
ग़ज़ल 142 : आप से क्या मिले--                                 18D
ग़ज़ल 143 : आइने आजकल ख़ौफ़ खाने लगे-            09D
ग़ज़ल 144 : रोशनी मद्धम नहीं करना--XX  01A
ग़ज़ल 145 : लगे दाग़ दामन पे --                               20D
ग़ज़ल 146 : क़ातिल के हक़ में लोग                           21D
ग़ज़ल 147 : बात दिल पे लगा के बैठे हैं                      22 D
ग़ज़ल 148 : ज़िन्दगी ना हुई बावफ़ा आजतक--          23D
ग़ज़ल 149 : मुहब्बत जाग उठी दिल में--                   24D
ग़ज़ल 150 : फ़ुरसत कभी मिलेगी जो                        25DS
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ग़ज़ल 151 : आई ख़बर इधर नई कल --                   26D
ग़ज़ल 152 : चाहे ग़म था ख़ुशी कट गई ज़िन्दगी-       34-D
ग़ज़ल 153 : दीदार-ए-हक़ में दिल को अभी--          28D
ग़ज़ल 154 : ज़िन्दगी से हमेशा बग़ावत रही--           29D
ग़ज़ल 155 : बेज़ार हुए क्यों तुम --                           30D
ग़ज़ल 156 : फिर वही इक नया बहाना है                31D
ग़ज़ल 157 : सारी ख़ुशियाँ इश्क़-ए-कामिल             32D
ग़ज़ल 158 : ज़माने से जमी है बर्फ़--                       33D
ग़ज़ल 159 : रफ़्ता रफ़्ता कटी ज़िन्दगी                     27D
ग़ज़ल 160 : ख़ुशी मिलती है उनको                         35D
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ग़ज़ल 161 : न उतरे ज़िन्दगी भर जो--                    36D
ग़ज़ल 162 : हर जगह झूठ ही झूठ --                       01E
ग़ज़ल 163 : इश्क़ की राह पर चल दिए--                38
ग़ज़ल 164 : जब कभी सच फ़लक से --                 39D
ग़ज़ल 165 : दुआ कर मुझे इक नज़र देखते हैं          93D
ग़ज़ल 166 : सर्द रिश्तें भी हों ,मगर रखना                41D
ग़ज़ल 167 : मुहब्बत में दिवानों को  38A
ग़ज़ल 168 : सभी ग़म एक से होते                          43D
ग़ज़ल 169 : अगर ढलान से दर्या ढला                     04DS
ग़ज़ल 170 : उँगलिया वो सदा उठाते हैं                    45D
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ग़ज़ल 171 : आंकड़ों से हक़ीक़त छुपाना भी  क्या    46 D
ग़ज़ल 172 : जो कहा तुम ने                                  47 D
ग़ज़ल 173 : पास मेरे था उसका पता उम्र भर        48D
ग़ज़ल 174 : किसी के प्यार में ये दिल                   49D
ग़ज़ल 175 : लोग हद से गुज़रने लगे हैं                 50D
ग़ज़ल 176 : अहमक लोगों को कुर्सी पर               51D
ग़ज़ल 177 : हर बात पे नुक़्ता-चीं                         52 D
ग़ज़ल 178 : अपना ही क्यॊं हरदम                       53 
ग़ज़ल 179 : ग़ज़ल हुई तो यक़ीनन                      54 D
ग़ज़ल 180 : वह शख़्स देखने में तो                      55 D
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ग़ज़ल 181 : रिश्तों की बात कौन                          56D
ग़ज़ल 182 : जब हाँ में हाँ किया तो                       57D
ग़ज़ल 183 : सौगन्ध संविधान की खाता                58 D
ग़ज़ल 184 : लख़्त-ए-जिगर का खोना                  59D
ग़ज़ल 185 : पहले थी जैसी अब वो                       60D
ग़ज़ल 186 : तुम नादाँ हो ,नावाक़िफ़ हो               61D
ग़ज़ल 187 : वह रंग बदलता है सियासत              62D
ग़ज़ल 188 : अगर मिलते न तुम मुझ को              63D
ग़ज़ल 189 : जो रंग अस्ल है वो दिखाएगा            64 D
ग़ज़ल 190 : बगुलों की मछलियों से                    65D
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ग़ज़ल 191 : चाह अपनी कभी छुपा न                 66D
ग़ज़ल 192 : अभी नाज़-ए-बुतां देखूँ                    67D
ग़ज़ल 193 : आप महफ़िल में जब भी -               68D
ग़ज़ल 194 : ख़ामोश रहोगे तुम -दुनिया तो          69D
ग़ज़ल 195 : जो शख़्स पढ़ रहा था--                   70 D
ग़ज़ल 196 : किसी की वफ़ा हूं                            71D
ग़ज़ल 197 : वो अँधेरों में इक रोशनी                   72D
ग़ज़ल 198 : तेरे इश्क़ में इब्तिदा से हूँ                73D
ग़ज़ल 199 : कहीं तुम मेरा आइना तो -              74D
ग़ज़ल 200 : बदल गईं जब तेरी निगाहें               75D
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ग़ज़ल 201: मुहब्बत  की उसने सज़ा जो            76D
ग़ज़ल 202: बात यूँ ही निकल गई होगी              77D
ग़ज़ल 203: आप के आने से पहले                     78D    
ग़ज़ल 204: ख़ामोश -मुठ्ठी न भिंची             08A
ग़ज़ल 205: तुम्हे जबतक ख़बर होगी        19A
ग़ज़ल 206: जो बर्फ़ पड़ी दिल पे 62A
ग़ज़ल 207: आदमी में आदमियत            20A
ग़ज़ल 208: गुमराह हो गया तू बातों में              79D
ग़ज़ल 209: कथनी में क्या क्या न कहा    57A
ग़ज़ल 210: हर सिम्त धुआँ उठता                     80D
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ग़ज़ल 211: दो चार गाम रह गया था    17A
ग़ज़ल 212: तुम पास ही खड़ी थी        16A
ग़ज़ल 213: हर बार काठ की हांडी    15A
ग़ज़ल 214: दीवार खोखली है             27A
ग़ज़ल 215: दूर जब रोशनी नज़र आई             81D
ग़ज़ल 216: झूठ पर झूठ वह बोलता                 82D
ग़ज़ल 217: जीवन के सफ़र में यूँ
ग़ज़ल 218: तुमको न हो यक़ीन मुझे तो            83D
ग़ज़ल 219: सितम मुझ पर हज़ारों थे                 84D
ग़ज़ल 220: ज़ुल्मात में मशाल जलाती रही         85D
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ग़ज़ल 221: न रूठो तुम चली आओ                  86D
ग़ज़ल 222: करें जब गोपियों की चूड़ियाँ    =      01DS
ग़ज़ल 223: अनाड़ी था नया था राहबर               87D
ग़ज़ल 224: एक रिश्ता जो ग़ायबाना है               88D
ग़ज़ल 225: मुलव्विस हूँ हमेशा मैं                      89D
ग़ज़ल 226: बुज़ुर्गों की दुआएँ हो तो                    90D
ग़ज़ल 227: यूँ उनकी शान के आगे                    91D
ग़ज़ल 228: सबक़ उल्फ़त का दुहराते                92D
ग़ज़ल 229: अगर सच से न घबराते                    40D
ग़ज़ल 230: ख़ुदाया काश वह मेरा                      94D
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ग़ज़ल 231: हस्र-ए-उल्फ़त तुम्हे पता होगा           95D
ग़ज़ल 232: हमारी सोच में चन्दन की ख़ुशबू         96D
ग़ज़ल 233: जन्नत से वो निकाले                           97D
ग़ज़ल 234: ज़िन्दगी ग़म भी शादमानी भी             98D 
ग़ज़ल 235: हालात-ए-ख़ुमारी में                          03DS        
ग़ज़ल 236: तुम्हारी ज़ुल्फ़ को छू कर                   37D
ग़ज़ल 237: मुहब्बत में अब वो इबादत कहाँ              02E
ग़ज़ल 238: सुरूर उनका जो मुझ पर चढ़ा नहीं          03ES
ग़ज़ल 239: इश्क़ रुस्वा नहीं हुआ होता                      04E
ग़ज़ल 240: दिल ने जो कहा मुझ से                            05E
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ग़ज़ल 241: तुम्हारी जालसाजी में उन्हे कुछ                 06E
ग़ज़ल 242: कटी उम्र उनको बुलाते बुलाते                  07E
ग़ज़ल 243: नई जब राह तू चल                                  08E
ग़ज़ल 244: वक़्त देता वक़्त आने पर सज़ा है                09E
ग़ज़ल 245: चुभी है बात उसे कौन सी                          10E
ग़ज़ल 246: दर्द-ए-दिल जगा के रखते हैं                      11E
ग़ज़ल 247: आप से दिल लगा के बैठे हैं                       12E
ग़ज़ल 248: बीज नफ़रत के बोए जाते हैं                       13E
ग़ज़ल 249: आप को राज़-ए-दिल बताना क्या               14E
ग़ज़ल 250: कोई रहता मेरे अन्दर                                15E
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ग़ज़ल 251: धुन्ध फ़ैला फ़ैलता ही जा रहा है                  16E
ग़ज़ल 252: यह नज़्म ज़िन्दगी की                                17E
ग़ज़ल 253: क्या हाल-ए-दिल सुनाऊँ                           18E
ग़ज़ल 254: जो हो रहा है उस पे कहा कीजिए हुज़ूर      19E
ग़ज़ल 255: उनसे हुआ है आज तलक सामना नहीं       20E
ग़ज़ल 256: सिर्फ़ आसमान में न उड़ा कीजिए जनाब    21E
ग़ज़ल 257: हर बार अपनी पीठ स्वयं थपथपा रहा        22E
ग़ज़ल 258:जब नाम ले के तुमने                                 23E
ग़ज़ल 259: ज़ाहिदों की बात में क्यों आ रहा है             24E   
ग़ज़ल 260: कुछ और सफ़ाई में कहता                       25E
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ग़ज़ल 261: इश्क़ तो दिल का ठिकाना ढूँढता है          26E
ग़ज़ल 262: कोई दर्द अपना छुपा कर हँसा है              27E
ग़ज़ल 263: बात दिल की सुना करे कोई                     28E
ग़ज़ल 264 : आप से हाल-ए-दिल छुपा है क्या              29E
ग़ज़ल 265: उनकी इशरत शादमानी और है                30E
ग़ज़ल 266: वह क़ैद हो गया है                                   31E
ग़ज़ल 267: उजालों को तुम ने आने दिया                    32E
ग़ज़ल 268: ये बात और थी                                        33E
ग़ज़ल 269: आप की बात में वो रवानी लगी                 34E
ग़ज़ल 270: तू उतना ही चलेगा जितना---                   35E
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ग़ज़ल 271: इक अजब अनजान सा रहता है डर         36E
ग़ज़ल 272; ज़िंदगी रंग क्या क्या दिखाने लगी             37E
ग़ज़ल 273 : तहत पर्दे के इक पर्दा मिलेगा                    38E
ग़ज़ल 274: चढते दर्या को इक दिन  है जाना  उतर        39E
ग़ज़ल 275: वह अपने आप पर झुँझला रहा है                40E
ग़ज़ल 276: शाख से पत्तियाँ टूट कर                             41E
ग़ज़ल 277: छोड़ दूँ मैं शराफ़त यह फ़ितरत नहीं            42E
ग़ज़ल 278: अमानत में करते नहीं हम                            43E
ग़ज़ल 279: समझना ही न चाहो तुम                                44E
ग़ज़ल 280: भूल पाया जिसे उम्र भर भी नहीं                      45E   
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ग़ज़ल 281  याद में यार की मैं रहा                                    46E
ग़ज़ल 282  प्यार में होता नहीं सूद-ओ-ज़ियाँ                        47E
ग़ज़ल 283  आप से है एक रिश्ता जाविदाँ                    48E
ग़ज़ल 284  बन के साया चल रहा था हमक़दम            49E
ग़ज़ल 285  छुपे थे जो दरिंदे दिल में                            50E
ग़ज़ल 286  मैं जैसा बना हूँ भला या बुरा हूं~                51E
ग़ज़ल 287  काम करना है तो कुछ ऐसा करो                52E
ग़ज़ल 288  रात आए ख़्वाब में वो                                53E
ग़ज़ल 289  आप को गुमाँ ये है आप से ज़माना है            54E
ग़ज़ल 290   उनसे मिलना नहीं हुआ फिर भी                 55E
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ग़ज़ल 291    वह अँधेरों की हिफ़ाज़त मे लगा है           56 E 
ग़ज़ल 292    कल तुम्हारा शह्र सारा जश्न में डूबा रहा     57E
ग़ज़ल 293    ये हक़ीक़त है या फ़साना है                    58E
ग़ज़ल 294    जमाल-ओ-हुस्न जब उनका बहारों पर उतर आया  59E
ग़ज़ल 295    यही देखा किया मैने, यही  होता रहा अकसर        60E
ग़ज़ल 296    मिलता हूँ गले लग कर अपनी तो है बीमारी            61E
ग़ज़ल 297    फेर ली तूने क्यों मुझसे अपनी नज़र                        62E
ग़ज़ल 298   आग पहले तुम्ही लगाते हो                                    63E
ग़ज़ल 299     हमें देना है अपना दिल तुम्हे उपहार होली में        64E
ग़ज़ल 300    आँधियों से तुम अगर यूँ ही डरोगे                            65E
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ग़ज़ल 301    तुम्हारे हुस्न का जल्वा किसी को जब दिखा होगा    66E
ग़ज़ल 302    वेलेन्टाइन डे[2023] पर एक हास्य ग़ज़ल            67E
ग़ज़ल 303    वतन के हाल का उसको भी कुछ पता होता        68E
ग़ज़ल 304   सफ़र हयात का आसाँ मेरा हुआ होता                69E
ग़ज़ल 305    निज़ाम आया नया है                                        70E
ग़ज़ल 306    मंज़िल पे है नज़र मुझे काँटो का डर नहीं            71E
ग़ज़ल 307    बात में उसकी रही कब पुख़्तगी है                    72E
ग़ज़ल 308    इश्क़ क्या है दो दिलों की बस्तगी है                    73E
ग़ज़ल 309    अवाम जो भी सुनाए उसे सुना करिए                74E
ग़ज़ल 310    हमें कब से बड़ी शिद्दत से वह समझा रहा है        75E
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ग़ज़ल 311    दिखा कर झूठ के सपने हमें भरमा रहे हो            76E
ग़ज़ल 312   चिराग़-ए-इल्म जिसका हो                                    77E
ग़ज़ल 313    जब झूठ की ज़ुबान सभी बोलते रहे                      78E
ग़ज़ल 314     आप ने जो भी कुछ किया होगा                        79 E
ग़ज़ल 315    ये अलग बात है वो मिला तो नहीं                        80 E
ग़ज़ल 316    सच से उसका कोई वास्ता भी नहीं                  81E                  
ग़ज़ल 317    ख़त अधूरा लिखा उसका पूरा हुआ                82E
ग़ज़ल 318    फेंक कर जाल बैठे मछेरे यहाँ                           83E
ग़ज़ल 319    दिखा कर झूठ के सपने                                84E
ग़ज़ल 320    गर्म आने लगी  हैं हवाएँ इधर                        85E
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ग़ज़ल 321    तुम्हारे चाहने से क्या हुआ है                           86E
ग़ज़ल 322   जब आए ही नहीं तुम तो                                87E
ग़ज़ल 323    निगाहों  ने निगाहों से कहा                            88 E
ग़ज़ल 324   इबादत में मेरे कहीं कुछ कमी है                    89 E
ग़ज़ल 325   आजकल आप  जाने न रहतें किधर                01F
ग़ज़ल 326    जब दिल मे कभी उनका                               02F
ग़ज़ल 327     ज़िंदगी में रही इक कमी उम्र भर                  03F
ग़ज़ल 328    मुझे क्या ख़बर किसने क्या क्या कहा है          04F
ग़ज़ल 329    तुम्हारे ही इशारों पर--                                   05F
ग़ज़ल 330    देखा जो कभी तुमने                                      06F
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ग़ज़ल 331    ऐसी क्या हो गईं अब हैं मजबूरियाँ                  07F
गज़ल 332    आदमी की सोच को यह क्या हुआ है              08F
ग़ज़ल 333    कुछ लोग बस हँसेंगे                                      09F
ग़ज़ल 334    हो न जाए कहीं रायगाँ                                   10F
ग़ज़ल 335    झूठ की हद से जब गुज़रता है                        11F
ग़ज़ल 336    इश्क़ क्या है ? न मुझको बताया करो             12F
ग़ज़ल 337    खुशियों का अभी ज़िंदगी में सिलसिला नहीं    13F
ग़ज़ल 338    आप से अर्ज-ए-हाल है साहिब                       14F        
ग़ज़ल 339    तुमने जैसा कहा ,मैने वैसा किया                   15F
ग़ज़ल 340    क्यों अँधेरों में जीते हो मरते हो तुम                16F
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ग़ज़ल 341    तेरी गलियों में जब से हैं जाने लगे                   17F
ग़ज़ल 342    यार के कूचे में जाना कब मना है                    18F
ग़ज़ल 343    आकर जो पूछ लेते                                       19F
ग़ज़ल 344    मैं दूर जा के भी उसको कभी                        20F
ग़ज़ल 345    देखने में हो लगते भले                                  21F
ग़ज़ल 346    काश ! ख़ुद से अगर मिला होता                    22F
ग़ज़ल 347    हमारी बात क्या करना                                 23F
ग़ज़ल 348     समन्दर की व्यथा क्या है                             24F
ग़ज़ल 349     चिरागों  की हवाओं से                                25F
ग़ज़ल 350      चुनावों  का यह मौसम है                           26F
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ग़ज़ल 351     न मिलते आप से जो हम                             27F
ग़ज़ल 352    नहीं वो बात रही                                         28F
ग़ज़ल 353    ज़िंदगी का फ़लसफ़ा कुछ और है                29F
ग़ज़ल 354    तुमसे कभी कुछ कहा ही नहीं                     30F
ग़ज़ल 355     दिल का बयान करते                                 31F
ग़ज़ल 356     मिलता है बड़े शौक़ से                              32F
ग़ज़ल 357     चिराग़-ए-इश्क़ मेरा यूँ बुझा नहीं होता        33F
ग़ज़ल 358    चलो होली मनाएँ                                       34F
ग़ज़ल 359     उसे ख़बर ही नहीं                                    35F
ग़ज़ल 360    लोग सुनेंगे हँस कर अपनी                        36F
-------   ------   -----
ग़ज़ल 361     सीने में है जो आग--                                37F
ग़ज़ल 362      हम तेरा एहतराम करते हैं                      38F
ग़ज़ल 363      कहने की बात और है ---        [ 58-A]
ग़ज़ल 364     ठोकर लगी किसी को             [30-A]
ग़ज़ल 365     अच्छा हुआ कि आप जो                         39F
ग़ज़ल 366      मुश्किल है बहुत मुशकिल    [47-A]
ग़ज़ल 367       इज़हार-ए-मुहब्बत के                          40 F
ग़ज़ल 368      क्या मुझको समझाना       [ 13-A\]
ग़ज़ल 369     जब बनाने मैं चला  था      [ 14-A]
ग़ज़ल 370       मेरे सवाल का वो जवाब                         41F
--------   ------   ---
ग़ज़ल 371     कितने रंग बदलता है वह                          42F
ग़ज़ल 372     शहर का उन्वान कुछ बदला हुआ है          43F
ग़ज़ल 373     सुनना ही नही उनको --[ 48-अ]
ग़ज़ल 374     हम क़ैद में क्यों रहते [ 49-अ ]
ग़ज़ल 375    बेदाग़ आदमी का     [ 51-अ]
ग़ज़ल 376     काश ! सूरत आप की [52-अ]
ग़ज़ल 377    अज़ाब-ए-ज़िंदगी यूँ भी  [53-अ]
ग़ज़ल 378    ऐसी भी हो ख़बर कहीं [ 60-अ]
ग़ज़ल 379    जब ग़रज़ उनकी तो    [44-अ]
ग़ज़ल 380     वह झूठ बोलता था                                44F
-----   -----   -----
ग़ज़ल 381    फिर घिसे नारे लगाना छोडिए श्रीमन        45F
ग़ज़ल 382    आप का शौक़ है एहसान जताए रखना    46F
ग़ज़ल 383    जाल में ख़ुद ही फ़ँसा है आदमी               47F
ग़ज़ल 384     ज़िंदगी क्या अब आजमाना है                 48F
ग़ज़ल 385    औरों की तरह ’हाँ में मैने हां नही किया    49F
ग़ज़ल 386     खुदा की जब इनायत हो--                      50F
ग़ज़ल 387     आश्रमों में धुंध  का वातावरण  है             51F
ग़ज़ल 388     वह धुँआ फ़ैला रहा है बेसबब                52F
ग़ज़ल 389       हम बेनवा की जब से हिमायत              53F
ग़ज़ल 390        गर बन न सका फूल तो ----[ 28-अ]
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ग़ज़ल 391       कह गया था वो मगर
ग़ज़ल 392        सफ़र शुरु हुआ नहीं  
ग़ज़ल 393        वह खटाखट बता कर गया
ग़ज़ल 394        मचा के शोर मुझे
ग़ज़ल 395       उसे पता ही नहीं
ग़ज़ल 396       जब कभी हमसे वह मिलता
ग़ज़ल 397        लोग सिक्कों पर फ़िसलने 
ग़ज़ल 398        सूरज को गिरवी रख रख कर
ग़ज़ल 399        बुतखाने में जा कर हमने
ग़ज़ल 400        खोटे सिक्के हाथों में ले
--- --
ग़ज़ल 401         जो गीत दर्द के गाते नहीं
ग़ज़ल 402         दिल ही से सब बयां हो
ग़ज़ल 403         इश्क़ की एक ही कहानी है
ग़ज़ल 404         बात बेपर की तुम उड़ाते हो
ग़ज़ल 405          नहीं अब रही गुफ़्तगू में लताफ़त
ग़ज़ल 406         रास्ते अब भी मिलेंगे
ग़ज़ल 407         आप अपने आप को तो
ग़ज़ल 408          किन किन खयाल-ओ-ख़्वाब में
ग़ज़ल 409         लोग चले हैं प्यास बुझाने
ग़ज़ल 410         खुलने दो खिड़कियों को
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ग़ज़ल 411          मेरी यादों में आ रहा कोई
ग़ज़ल 412         जिसको चाहा  उसे कहाँ  पाया
ग़ज़ल 413         हर ज़ुबाँ पर है बस यही चर्चा
ग़ज़ल 414         इश्क़ करना बुरा नहीं होता
ग़ज़ल 415          हमेशा क्यो किया करते
ग़ज़ल 416         रखे इलजाम किस पर हम
ग़ज़ल 417         तुम्हे लगता है ऐसा
ग़ज़ल 418         जब कहीं तेरी रहगुज़र आई
ग़ज़ल 419         नहीं वो राज़ से पर्दा उठाता है
ग़ज़ल 420          मिटा दोगी अगर मेरी मुहब्बत
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ग़ज़ल 421         ये  हस्ती चन्द रोज़ाँ की
ग़ज़ल 422         हाल इतना तेरा बुरा तो नहीं
ग़ज़ल 423         मुख़ालिफ़ जो चलने लगी हैं हवाएँ
ग़ज़ल 424         गुनाह कर के भी वो 
ग़ज़ल 425         कोई आता है दुनिया में
ग़ज़ल 426         झूठे ख़्वाब दिखाते क्यों हो
ग़ज़ल  427       नशा दौलत का है उसको
ग़ज़ल 428
ग़ज़ल 429
ग़ज़ल 430






    












A=  अभी संभावना है [ गीत ग़ज़ल संग्रह ]
B=   मैं नहीं गाता हूँ [ गीत ग़ज़ल संग्रह ]
C=   एक समन्दर मेरे अन्दर [[ गीत ग़ज़ल संग्रह ]
D= मौसम बदलेगा [ गीत ग़ज़ल संग्रह ]
E =  क़लम का सफ़र [ गीत ग़ज़ल संग्रह]-
F=   आइने ग़ज़ल के [ गीत ग़ज़ल संग्रह] प्रकाशनाधीन]
S means with Sound File too

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