गुरुवार, 13 अप्रैल 2023

ग़ज़ल 326 (02F): जब दिल में कभी उनका

ग़ज़ल  326 [02F]

221---1222// 221--1222

जब दिल मे कभी उनका,इक अक्स उतर आया ,
दुनिया न मुझे भायी,  दिल और निखर आया ।

ऐसा भी हुआ अकसर, सजदे में झुकाया सर,
ख्वाबों मे कभी उनका चेहरा जो नजर आया ।

कैसी वो कहानी थी सीने मे छुपा रख्खी
तुमने जो सुनाई तो इक दर्द उभर आया ।

दो बूँद छलक आए नम आँख हुई उनकी
चर्चा में कहीं मेरा जब जख्म-ए-जिगर आया ।

अंजाम से क्या डरना क्यों लौट के हम आते ,
खतरों से भरे रस्ते दौरान-ए-सफर आया ।

क्या क्या न सहे हमने, दम तोड़ दिए सपने
टूटे हुए सपनों से जीने का हुनर आया ।

 मालूम नही तुझको, क्या रस्म-ए-वफा, उलफत
क्या सोच के तू 'आनन', कूचे मे इधर आया ।

--आनन्द पाठक-
सं 22-06-24

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