शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

ग़ज़ल 160 : खुशी मिलती है उन को--

 ग़ज़ल 160

1222---1222---1222--1222
मफ़ाईलुन--मफ़ाईलुन--मफ़ाईलुन--मफ़ाईलुन
बह्र-ए-हज़ज मुसम्मन सालिम
--- --- ---
ख़ुशी मिलती है उनको साजिशों के ताने-बाने में,
छ्लकता दर्द है घड़ियाल-सा आँसू बहाने में।

हिमालय से चली नदियाँ बुझाने प्यास धरती की,
लगे कुछ लोग हैं बस तिश्नगी अपनी बुझाने में।

हवाएँ क्यों डराती हैं ,चिरागों को बुझाती हैं,
कि जिनका काम था ख़ुशबू को फ़ैलाना ज़माने में।

हमारे आँकड़े तो देख हरियाली ही हरियाली,
उधर तू रो रहा है एक बस ’रोटी’ बनाने में ?

मिलेगी जब कभी फ़ुरसत, तुम्हें ’रोटी’ भी दे देंगे,
अभी मसरूफ़ हूँ तुमको नए सपने दिखाने में।

जहाँ क़ानून हो अन्धा, जहाँ आदिल भी हो बहरा,
वहाँ इक उम्र कट जाती किसी का हक़ दिलाने में।

अँधेरा ले के लौटे है,हमारे हक़ में वो ’आनन,’
मगर है रोशनी का जश्न उनके आशियाने में ।

-आनन्द.पाठक-

रविवार, 21 फ़रवरी 2021

एक सूचना : पुस्तक प्रकाशन के सन्दर्भ में---

 एक सूचना = पुस्तक प्रकाशन के सन्दर्भ में

 

हमें सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आप लोगों के आशीर्वाद और शुभकामनाओं से मेरी छठी पुस्तक -" अल्लम गल्लम बैठ निठल्लम "- [ हास्य-व्यंग्य संग्रह ] प्रकाशित हो कर आ गई है।

इस से पूर्व मेरी -5-पुस्तकें [ 3- कविता/ग़ज़ल/गीत संग्रह और 2- हास्य व्यंग्य़ संग्रह] प्रकाशित हो चुकी हैं । और इन सभी पुस्तकों का प्रकाशन "अयन प्रकाशन, नई दिल्ली " ने किया है ।

"अयन-प्रकाशन’ को इस हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।


इस संग्रह में मेरी 32-व्यंग्य रचनाएँ संकलित है जिसमे से कुछ रचनाएँ आप लोगो ने इस मंच पर अवश्य पढ़ी होंगी ।

आशा करता हूँ कि इस संग्रह को भी पूर्व की भाँति आप सभी लोगो का स्नेह और आशीर्वाद मिलता रहेगा।


पुस्तक प्राप्ति के लिए अयन प्रकाशन से सम्पर्क किया जा सकता है । उनका पता है संलग्न है ।

whatsapp no = 92113 12372 [ संजय जी ]

{नोट : प्रकाशक ने अभी यह पुस्तक Amazon पर उपलब्ध नहीं कराई है ]

   -सादर-

 




शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

अनुभूतियाँ : क़िस्त 04

 

अनुभूतियाँ 04

 

 01

क़तरा क़तरा दर्द हमारा,

हर क़तरे में एक कहानी ।

शामिल है इसमे दुनिया की

मिलन-विरह की कथा पुरानी ।

  

02

जब से छोड़ गई तुम मुझ को

सूना दिल का  कोना कोना ।

कब तक साथ भला तुम चलती,

आज नहीं तो कल था होना ।

 

03

इतना जुल्म न ढाओ मुझ पर

प्रणय-गीत फिर गा न सकूँगा ।

लाख करोगी कोशिश तो भी,

चला गया तो आ न सकूँगा ।

  

04

फूल-गन्ध का रिश्ता क्या है ?

 कभी नहीं यह तुम ने जाना 

जीवन भर का साथ  हमारा

लेकिन कब यह तुम ने माना ।

  

-आनन्द.पाठक-

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

गीत 69 : सरस्वती वन्दना

 [*आज 16-फ़रवरी ,वसंत पंचमी और ’सरस्वती पूजन’ का दिन ।

इस शुभ अवसर पर रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ* । आशीर्वादाकांक्षी हूँ ।

सरस्वती वंदना

हंसवाहिनी ! ज्ञानदायिनी ! ज्ञान कलश भर दे !
माँ शारदे वर दे ।
मिटे तमिस्रा कल्मष मन का
मन निर्मल कर दो जन जन का
वीणापाणी ! सिर पर मेरे,वरद हस्त धर दे!
माँ!वागेश्वरी ! वर दे !
अंधकार पर विजय लिखे यह
सच के हक़ में खड़ी रहे यह
निडर लेखनी चले निरन्तर ,धार प्रखर कर दे !
!माँ भारती ! वर दे !
सप्त तार वीणा के झंकृत
हो जाते सब राग अलंकृत
बहे कंठ से स्वर लहरी माँ, राग अमर कर दे !
माँ सरस्वती ! वर दे ।
-आनन्द.पाठक-