चन्द माहिया : क़िस्त 55
1
जब जब घिरते बादल
प्यासी धरती क्यों
होने लगती पागल ?
:2:
भूले से कभी आते
मेरी दुनिया में
वादा तो निभा जाते
:3:
इस मन में उलझन है
धुँधला है जब तक
यह मन का दरपन है
:4:
जब छोड़ के जाना था
फिर क्यों आए थे ?
क्या दिल बहलाना था?
:5:
अब और कहाँ जाना
तेरी आँखों का
यह छोड़ के मयखाना
-आनन्द.पाठक-
1
जब जब घिरते बादल
प्यासी धरती क्यों
होने लगती पागल ?
:2:
भूले से कभी आते
मेरी दुनिया में
वादा तो निभा जाते
:3:
इस मन में उलझन है
धुँधला है जब तक
यह मन का दरपन है
:4:
जब छोड़ के जाना था
फिर क्यों आए थे ?
क्या दिल बहलाना था?
:5:
अब और कहाँ जाना
तेरी आँखों का
यह छोड़ के मयखाना
-आनन्द.पाठक-