शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

चन्द माहिया : क़िस्त 16


चन्द माहिया : क़िस्त 16

:1:
किस बात पे हंगामा
ज़ेर-ए-नज़र तेरी
मेरा है अमलनामा

:2:
चाहो तो सज़ा दे दो
उफ़ न करेंगे हम
पर अपना पता दे दो

:3:
वो जितनी जफ़ा करते
क्या जानेगे वो
हम उतनी वफ़ा करते

:4:

क़तरा-ए-समन्दर हूँ
जितना हूँ बाहर
उतना ही अन्दर हूँ

:5:
इज़हार-ए-मुहब्बत है
रुसवा क्या होना
बस एक इबादत है


[शब्दार्थ ज़ेर-ए-नज़र = नज़रों के सामने
अमलनामा =कर्मों का हिसाब-किताब

-आनन्द.पाठक


[सं 10-06-18]

रविवार, 8 फ़रवरी 2015

चन्द माहिया : क़िस्त 15



:1:
ये रात ये, तनहाई
सोने कब देती
वो तेरी अँगड़ाई

;2:

जो तूने कहा ,माना
तेरी निगाहों में 
फिर भी हूँ अनजाना

:3:

कुछ दर्द-ए-ज़माना है
और ग़म-ए-जानाँ
जीने का बहाना है

:4:

कूचे जो गये तेरे
सजदे से पहले 
याद आए गुनह मेरे

:5:

इक वो भी ज़माना था
्जब जब तुम रूठी
मुझको ही मनाना था

-आनन्द.पाठक

[सं 10-06-18]