शनिवार, 30 जून 2018

चन्द माहिया : क़िस्त 48

चन्द माहिया  : क़िस्त 48

:1:
क्यों दुख से घबराए
धीरज रख मनवा
मौसम है, बदल जाए

:2:
तलवारों पर भारी
एक कलम मेरी
और इसकी खुद्दारी

:3:
सुख-दुख आए जाए
सुख ही कहाँ ठहरा
जो दुख ही ठहर पाए

:4:
तेरी नीली आँखें
ख़्वाबों को मेरे
देती रहती साँसें

:5:
इक नन्हीं सी चिड़िया
खेल रही जैसे
मेरे आँगन गुड़िया


-आनन्द.पाठक-

शनिवार, 23 जून 2018

चन्द माहिया : क़िस्त 47

न्द माहिया : क़िस्त 47
:1:
सब साफ़ दिखे मन से
धूल हटा पहले
इस मन के दरपन से
:2:
अब इश्क़ नुमाई क्या
दिल से तुम्हे चाहा
हर रोज़ गवाही क्या
:3:
मरने के ठिकाने सौ
दुनिया में फिर भी
जीने के बहाने सौ
:4:
क्या ढूँढ रहा ,पगले !
मिल जायेगा वो
मन तो बस में कर ले
:5:
माया को सच माना
मद में है प्राणी
उफ़ कितना अनजाना

-आनन्द.पाठक

शनिवार, 2 जून 2018

चन्द माहिया : क़िस्त 45

चन्द माहिया : क़िस्त 45

        :1:
सब ग़म के भँवर में हैं
कौन किसे पूछे
सब अपने सफ़र में हैं

;2:
अपना ही भला देखा
 कब देखी मैने
अपनी लक्षमन रेखा

:3:
माया की नगरी में
बाँधोंगे कब तक
इस धूप को गठरी में

:4:
होठों पे तराने हैं
आँखों में किसके
बोलो .अफ़साने हैं

5
जो चाहे ,दे देना
  चाहत क्या मेरी
आँखों से समझ लेना




-आनन्द.पाठक-
[सं 15-06-18]