जिसने मुझे बनाया ,उसका ही गीत गाया
दरबारियों के आगे कभी सर नहीं झुकाया
मिट्टी सा भुरभुरा तन किसके लिए सजाया
यह कब रहा था अपना जो अब हुआ पराया
पानी के बुलबुले पर तस्वीर ज़िन्दगी की
किसने अभी उकेरा किसने अभी मिटाया
इस दिल के आइने पर जो गर्द सी जमी है
जब भी हटा के देखा तेरा ही रूप पाया
जब तक रही थीं साँसे सब लोग थे दिवाने
दो साँस कम हुई क्या अपने हुए बेगाने
जीने की हड़बड़ी में ,कुछ जोड़-तोड़ पाया
रह जाएंगे यहीं सब मेरे भरे ख़ज़ाने
जब आप ने बुलाया ,बिन पाँव दौड़ आए
अफ़सोस बस यही है कुछ साथ ला न पाया
छोटी सी ज़िन्दगी थी सपने बड़े-बड़े थे
कुछ पाप-पुण्य क्रम थे हम बीच में खड़े थे
कभी सत्य के मुकाबिल रही झूठ की गवाही
अन्दर से क्षत-विक्षत थे जो उम्र भर लड़े थे
इस रास्ते से जाते देखा किए सभी को
इस रास्ते से वापस आते न देख पाया
-आनन्द
दरबारियों के आगे कभी सर नहीं झुकाया
मिट्टी सा भुरभुरा तन किसके लिए सजाया
यह कब रहा था अपना जो अब हुआ पराया
पानी के बुलबुले पर तस्वीर ज़िन्दगी की
किसने अभी उकेरा किसने अभी मिटाया
इस दिल के आइने पर जो गर्द सी जमी है
जब भी हटा के देखा तेरा ही रूप पाया
जब तक रही थीं साँसे सब लोग थे दिवाने
दो साँस कम हुई क्या अपने हुए बेगाने
जीने की हड़बड़ी में ,कुछ जोड़-तोड़ पाया
रह जाएंगे यहीं सब मेरे भरे ख़ज़ाने
जब आप ने बुलाया ,बिन पाँव दौड़ आए
अफ़सोस बस यही है कुछ साथ ला न पाया
छोटी सी ज़िन्दगी थी सपने बड़े-बड़े थे
कुछ पाप-पुण्य क्रम थे हम बीच में खड़े थे
कभी सत्य के मुकाबिल रही झूठ की गवाही
अन्दर से क्षत-विक्षत थे जो उम्र भर लड़े थे
इस रास्ते से जाते देखा किए सभी को
इस रास्ते से वापस आते न देख पाया
-आनन्द