गीत 28[15]
क्यों किरण किरण तेज़ाब हुई औ’ हवा हुई जहरीली है ?
श्वाँस श्वाँस बारूद भरे हैं ,आँख आँख के सूखे पानी
हाथ-हथेली रक्त सने हैं , पनघट पनघट पे वीरानी
क्यों राजघाट को जाने वाली राह हुई पथरीली है ?
क्यों किरण किरण........
दीपक दीपक नज़रबन्द हैं , अँधियारों की खुली चुनौती
गुलशन गुलशन कलियाँ सहमी ,माली करता माँग फ़िरौती
क्यों गंगा-जमुना के आँगन में मलिन हुई रंगोली है ?
क्यों किरण किरण .....
मेहदी रची हुई हथेली , श्रृंगार महावर पावों में
क्यों धुलता सिन्दूर कोई आतंकी शहरों ,गावों में ?
गौतम-गाँधी की धरती पर यह ख़ून सनी क्यों होली है ?
क्यों किरण किरण.....
जब भी उगा ,उगा पूरब से , सूरज के फैले उजियारे
विश्व शान्ति के श्वेत कबूतर !क्षत-विक्षत क्यों पंख तुम्हारे ?
मन्दिर-मस्जिद जाने वालों ! क्यों कड़वी तीखी बोली है ?
क्यों किरण किरण तेज़ाब हुई औ’ हवा हुई जहरीली है ?
-आनन्द
श्वाँस श्वाँस बारूद भरे हैं ,आँख आँख के सूखे पानी
हाथ-हथेली रक्त सने हैं , पनघट पनघट पे वीरानी
क्यों राजघाट को जाने वाली राह हुई पथरीली है ?
क्यों किरण किरण........
दीपक दीपक नज़रबन्द हैं , अँधियारों की खुली चुनौती
गुलशन गुलशन कलियाँ सहमी ,माली करता माँग फ़िरौती
क्यों गंगा-जमुना के आँगन में मलिन हुई रंगोली है ?
क्यों किरण किरण .....
मेहदी रची हुई हथेली , श्रृंगार महावर पावों में
क्यों धुलता सिन्दूर कोई आतंकी शहरों ,गावों में ?
गौतम-गाँधी की धरती पर यह ख़ून सनी क्यों होली है ?
क्यों किरण किरण.....
जब भी उगा ,उगा पूरब से , सूरज के फैले उजियारे
विश्व शान्ति के श्वेत कबूतर !क्षत-विक्षत क्यों पंख तुम्हारे ?
मन्दिर-मस्जिद जाने वालों ! क्यों कड़वी तीखी बोली है ?
क्यों किरण किरण तेज़ाब हुई औ’ हवा हुई जहरीली है ?
-आनन्द