रविवार, 22 जनवरी 2017

एक ग़ज़ल 85[31] : यकीं होगा नहीं तुमको....

1222---1222----1222----122
मफ़ाईलुन---मफ़ाईलुन---मफ़ाईलुन--फ़ऊलुन
बह्र-ए-हज़ज मुसम्मन महज़ूफ़
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यकीं होगा नहीं तुमको  मेरे तर्ज़-ए-बयाँ  से
जबीं का एक ही रिश्ता तुम्हारे आस्ताँ  से

फ़ना हो जाऊँगा जब राह-ए-उल्फ़त में तुम्हारी
ज़माना तुम को पहचानेगा  मेरी दास्ताँ  से

मिली मंज़िल नहीं मुझको भटकता रह गया हूं
बिछुड़ कर रह गया  हूँ  ज़िन्दगी के कारवाँ से

यूँ उम्र-ए-जाविदाँ  लेकर यहाँ पर कौन आया 
सभी को जाना होगा एक दिन तो इस जहाँ  से

चमन को है कहाँ फ़ुरसत कि होता ग़म में शामिल
बिना खिल कर ही रुख़सत हो रहा हूँ मैं यहाँ से

बनाया खाक से मुझको तो फिर क्यूँ बेनियाज़ी !
कभी देखा तो होता हाल-ए-’आनन’ आस्माँ  से

-आनन्द पाठक-
08800927181

 शब्दार्थ
तर्ज़-ए-बयाँ से = कहने के तर्रीक़े  से
जबीं = माथा/ सर/पेशानी
आस्तां = दहलीज /चौखट
उम्र-ए-ज़ाविदां = अमर /अनश्वर
बेनियाज़ी =उपेक्षा
हाल-ए-आनन = आप द्वारा सॄजित ये बन्दा [आनन] किस हाल में है । सवाल परवरदिगार से है

[सं 28-05-18]

रविवार, 1 जनवरी 2017

एक गीत 59 : नए वर्ष की नई सुबह में .....

सभी मित्रों  ,शुभ चिन्तकों .हितैषियो को , इस अकिंचन का नव वर्ष की शुभकामनाएं ----यह नव वर्ष 2017 आप के जीवन में सुख और समृद्धि लाए
-आनन्द.पाठक और परिवार ----
नए वर्ष की प्रथम भेंट है --
आप सभी  पाठक के सम्मुख........
एक गीत :- नए वर्ष की नई सुबह में....................

नए वर्ष की नई सुबह में ,
आओ मिल कर लिखें कहानी,ना राजा हो  ,ना हो रानी 

जड़ता का हिमखण्ड जमा था 
शनै : शनै: अब लगा पिघलने
एक हवा ठहरी  ठहरी   सी 
मन्थर  मन्थर  लगी  है  चलने  
प्राची की किरणों से रच दें
नव विकास  की नई कहानी ,आओ मिल कर लिखें कहानी

सूरज का रथ निकल पड़ा है 
राह रोकने वाले  भी हैं
भ्र्ष्ट धुन्ध की साजिश  मे रत
कुछ काले धन वाले भी है
सृजन करें एक सुखद अनागत
अनाचार की मिटा  निशानी,आओ मिल कर लिखें कहानी

उन्हें अँधेरा ही दिखता है
जहाँ रोशनी की बातें  हैं 
सत्य उन्हें  स्वीकार नही है
पर ’सबूत’ पर चिल्लाते हैं
उन पर हम क्या करें भरोसा
उतर गया  हो जिनका पानी,आओ मिल कर लिखें कहानी

क्षमा दया करुणा से भी हम
स्वागत के नव-गीत लिखेंगे
प्यार लुटाने निकल पड़े हैं
’नफ़रत’ है तो प्रीति लिखेंगे
करें नया संकल्प वरण हम
पुरा संस्कृति  है  दुहरानी ,आओ मिल कर लिखें कहानी

-आनन्द.पाठक--