चन्द माहिया :क़िस्त 42
:1:
दो चार क़दम चल कर
छोड़ न दोगे तुम ?
सपना बन कर ,छल कर
:2:
जब तुम ही नहीं हमदम
सांसे भी कब तक
अब देगी साथ ,सनम !
3
दुनिया की कहानी में
सुख-दुख है शामिल
मेरी भी कहानी में
4
विपरीत हुई धारा
उस पे हवाओं ने
कश्ती को ललकारा
5
कितनी भोली सूरत
जैसे बनाई हो
रब ने ख़ुद ये मूरत
-आनन्द.पाठक-
[सं 15-06-18]
:1:
दो चार क़दम चल कर
छोड़ न दोगे तुम ?
सपना बन कर ,छल कर
:2:
जब तुम ही नहीं हमदम
सांसे भी कब तक
अब देगी साथ ,सनम !
3
दुनिया की कहानी में
सुख-दुख है शामिल
मेरी भी कहानी में
4
विपरीत हुई धारा
उस पे हवाओं ने
कश्ती को ललकारा
5
कितनी भोली सूरत
जैसे बनाई हो
रब ने ख़ुद ये मूरत
-आनन्द.पाठक-
[सं 15-06-18]