मुफ़ाईलुन---मुफ़ाइलुन--मुफ़ाईलुन---मुफ़ाईलुन
1222---------1222--------1222-------1222---
बह्र-ए-हजज़ मुसम्मन सालिम
----------
एक ग़ज़ल 07[02 A] : हमें मालूम है संसद में ---
हमें मालूम है संसद में कल फिर क्या हुआ होगा
कि हर मुद्दा सियासी ’वोट’ पर तौला गया होगा
मकाँ जिनके थे दस वातानुकूलित संग-ए-मरमर के
उसी ने झोपड़ी के दर्द पर भाषण दिया होगा
जहाँ थी बात मर्यादा की या तहजीब की आई
बहस करते हुए वह गालियाँ भी दे रहा होगा
बहस होनी जहाँ पर थी किसी गम्भीर मुद्दे पर
वहीं संसद में ’मुर्दाबाद’ का नारा लगा होगा
चलें होंगे कभी चर्चे जो रोटी पर ,ग़रीबी पर
दिखा कर आंकड़ों का खेल ,सीना तन गया होगा
कभी मण्डल-कमण्डल पर ,कभी ’मस्जिद पे मन्दिर पर
इन्हीं के नाम बरसों से तमाशा हो रहा होगा
खड़े है कटघरे में हम लगे आरोप हैं ’आनन’
कि शायद भूल से हमने कहीं सच कह दिया होगा
-आनन्द.पाठक-
[सं 26-07-20]
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बह्र-ए-हजज़ मुसम्मन सालिम
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एक ग़ज़ल 07[02 A] : हमें मालूम है संसद में ---
हमें मालूम है संसद में कल फिर क्या हुआ होगा
कि हर मुद्दा सियासी ’वोट’ पर तौला गया होगा
मकाँ जिनके थे दस वातानुकूलित संग-ए-मरमर के
उसी ने झोपड़ी के दर्द पर भाषण दिया होगा
जहाँ थी बात मर्यादा की या तहजीब की आई
बहस करते हुए वह गालियाँ भी दे रहा होगा
बहस होनी जहाँ पर थी किसी गम्भीर मुद्दे पर
वहीं संसद में ’मुर्दाबाद’ का नारा लगा होगा
चलें होंगे कभी चर्चे जो रोटी पर ,ग़रीबी पर
दिखा कर आंकड़ों का खेल ,सीना तन गया होगा
कभी मण्डल-कमण्डल पर ,कभी ’मस्जिद पे मन्दिर पर
इन्हीं के नाम बरसों से तमाशा हो रहा होगा
खड़े है कटघरे में हम लगे आरोप हैं ’आनन’
कि शायद भूल से हमने कहीं सच कह दिया होगा
-आनन्द.पाठक-
[सं 26-07-20]
pub baab-e-sukhan 22-07-21