मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

गीत 49 : नव-वर्ष :की नव सुनहरी किरन से--



नए वर्ष का स्वागत गीत

नए वर्ष की नव सुनहरी किरन से
अनागत समय की इबारत लिखेंगे

भला या बुरा जो गया बीत छोड़ो
उठो और देखो ,सुबह हो रही है
नई धूप आ कर खड़ी देहरी पे
कि संकल्प की अब घड़ी हो रही है

हृदय की पटल पे जो नफ़रत लिखा हो
मिटा कर उसे हम मुहब्बत लिखेंगे

अँधेरों की चाहे हो जितनी भी ताक़त
हमेशा चिरागां से डरते रहे  हैं
बुझी राख से भी हैं शोले पनपते
हवाओं से मिल कर दहकते रहें हैं

क़लम के सिपाही हैं,अपना धरम है
हक़ीक़त है जो भी ,हक़ीक़त लिखेंगे

नए वर्ष में शान्ति की ज्योति फैले
सभी हों सुखी, बस यही कामना है
न बारूद का हो धुँआ,हो न दहशत
न साज़िश हो कोई ,यही भावना है

अगर पढ़ सको तो कभी आ के पढ़ना
अदावत के बदले रफ़ाक़त लिखेंगे

-आनन्द.पाठक-
09413395592

रविवार, 29 दिसंबर 2013

ग़ज़ल 55[30] : नाम लेकर बुला गया कोई...

ग़ज़ल 55[30]

2122-----1212------22
फ़ाइलातुन---मफ़ाइलुन--फ़ेलुन
बह्र-ए-ख़फ़ीफ़ मुसद्दस मख़्बून महज़ूफ़
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नाम लेकर बुला गया कोई 
ख़्वाब दिल में जगा गया कोई

बात मेरी तो ज़ेर-ए-लब ही थी
बात अपनी सुना गया कोई

हूर-ए-जन्नत तुम्हीं रखो, ज़ाहिद !
जल्वा अपना दिखा गया कोई

रुख़ से पर्दा उठा लिया किसने
ग़ुंचा ग़ुंचा खिला गया कोई

हाय ! बिखरा के ज़ुल्फ़ को अपनी
प्यास मेरी बढ़ा गया कोई

रास्ता ज़िन्दगी का जो पूछा
मैकदा क्यूँ बता गया कोई ?

बात ग़ैरत की आ गई ’आनन’
जान अपनी लुटा गया कोई

-आनन्द.पाठक-

[सं 09-06-18]
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रविवार, 22 दिसंबर 2013

एक ग़ज़ल 54 : मेरे दिल की धड़कन ने......

बह्र-ए-मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम
फ़ऊलुन----फ़ऊलुन---फ़ऊलुन  फ़ऊलुन
122--          -122---     --122----   122
-----
मेरे  दिल के धड़कन ने उनको पुकारा
ज़माने को हो ना सका  ये गवारा

मुहब्बत में मुझको ख़बर ही कहाँ थी
कि तूफ़ाँ मिला कि मिला था किनारा ?

रह-ए-इश्क़ में ऐसे आये मराहिल
जो देखा नहीं वो भी देखा नज़ारा

तुम्हारे लिए ये हँसी-खेल होगा -
कभी दिल को तोड़ा कभी दिल संवारा

कोई अक्स दिल में उभरता नहीं अब
कि जब से तिरा अक्स दिल में उतारा

चला जो गया छोड़ कर इस मकां को
भला लौट कर कौन आया दुबारा ?

हुई रात "आनन’ की नींद आ रही है
कोई कर रहा अपनी जानिब इशारा

आनन्द.पाठक
 c-01/19