ग़ज़ल 55[30]
2122-----1212------22
फ़ाइलातुन---मफ़ाइलुन--फ़ेलुन
बह्र-ए-ख़फ़ीफ़ मुसद्दस मख़्बून महज़ूफ़
---------------------------------------------
नाम लेकर बुला गया कोई
ख़्वाब दिल में जगा गया कोई
बात मेरी तो ज़ेर-ए-लब ही थी
बात अपनी सुना गया कोई
हूर-ए-जन्नत तुम्हीं रखो, ज़ाहिद !
जल्वा अपना दिखा गया कोई
रुख़ से पर्दा उठा लिया किसने
ग़ुंचा ग़ुंचा खिला गया कोई
हाय ! बिखरा के ज़ुल्फ़ को अपनी
प्यास मेरी बढ़ा गया कोई
रास्ता ज़िन्दगी का जो पूछा
मैकदा क्यूँ बता गया कोई ?
बात ग़ैरत की आ गई ’आनन’
जान अपनी लुटा गया कोई
-आनन्द.पाठक-
[सं 09-06-18]
bbs
बह्र-ए-ख़फ़ीफ़ मुसद्दस मख़्बून महज़ूफ़
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नाम लेकर बुला गया कोई
ख़्वाब दिल में जगा गया कोई
बात मेरी तो ज़ेर-ए-लब ही थी
बात अपनी सुना गया कोई
हूर-ए-जन्नत तुम्हीं रखो, ज़ाहिद !
जल्वा अपना दिखा गया कोई
रुख़ से पर्दा उठा लिया किसने
ग़ुंचा ग़ुंचा खिला गया कोई
हाय ! बिखरा के ज़ुल्फ़ को अपनी
प्यास मेरी बढ़ा गया कोई
रास्ता ज़िन्दगी का जो पूछा
मैकदा क्यूँ बता गया कोई ?
बात ग़ैरत की आ गई ’आनन’
जान अपनी लुटा गया कोई
-आनन्द.पाठक-
[सं 09-06-18]
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