गुरुवार, 31 दिसंबर 2020

गीत 68 : नए वर्ष का स्वागत वन्दन--

 [ शनै: शनै: हम आ ही गए ,आगत और अनागत के मुख्य द्वार पर,जहाँ जाने वाले वर्ष की

कुछ विस्मरणीय स्मृतियाँ हैं तो आने वाले नववर्ष से कुछ आशाएँ हैं। इसी सन्दर्भ में प्रस्तुत है

एक गीत--- 

नए वर्ष पर एक गीत : आशाओं की नई किरण से---
आशाओं की नई किरण से, नए वर्ष का स्वागत -वन्दन ,
नई सुबह का नव अभिनन्दन।
ग्रहण लग गया विगत वर्ष को 
उग्रह अभी नहीं हो पाया  ।
बहुतों ने खोए  हैं परिजन ,
"कोविड’ की थी काली छाया ।
इस विपदा से कब छूटेंगे, खड़ी राह में बन कर अड़चन ।
नई सुबह का नव अभिनन्दन।
देश देश आपस में उलझे
बम्ब,मिसाइल लिए खड़े हैं ।
बैठे हैं शतरंज बिछाए ,
मन में झूठे दम्भ भरे हैं ।
ऐसा कुछ संकल्प करें हम, कट जाए सब भय का बन्धन ।
नई सुबह का नव अभिनन्दन।
धुंध धुआँ सा छाया जग पर
साफ़ नहीं कुछ दिखता आगे ।
छँट जाएँगे काले बादल ,
ज्ञान-ज्योति जब दिल में जागे ।
हम सब को ही एक साथ मिल ,करना होगा युग-परिवर्तन ।
नई सुबह का नव अभिनन्दन।
मानव-पीढ़ी रहेगी ज़िन्दा ,
जब तक ज़िन्दा हैं मानवता ।
सत्य, अहिंसा ,प्रेम, दया का
जब तक दीप रहेगा जलता ।
महकेगा यह विश्व हमारा ,जैसे महके चन्दन का वन ।
नई सुबह का नव अभिनन्दन।
-आनन्द.पाठक--


गुरुवार, 24 दिसंबर 2020

चन्द माहिए : क़िस्त 90

 क़िस्त 90


1

रह-ए-इश्क़ से जो गुज़रा

दीवाना हो कर

फिरता सहरा सहरा


2

जाने अनजाने में 

उम्र गुज़र जाती

सपने ही सजाने में 


3

जीना आसान नहीं

कौन यहाँ ऐसा 

जो है परेशान  नहीं


4

दो दिल के बन्धन से

अमरित भी निकले

जीवन के मन्थन से


5

इस दिल में उतर आओ

महकेगा तन-मन

अब और न तड़पाओ 


चन्द माहिए : क़िस्त 89

 

क़िस्त 89


1

वो जख़्म अगर देता

कौन सा जख़्म भला

जो वक़्त न भर देता 


2

आया है मेरा हमदम

बात मेरी उस ने

रख्खा तो कम से कम 


3

इतना ही काफी है

कोई ख़यालों में 

जीवन का साथी है


4

दुनिया के मेले में 

गाता रहता है

क्या दिल यह अकेले में 


5

उतरा है कोई मन में

फूल खिले मेरे

सुधियों के उपवन में 


शनिवार, 19 दिसंबर 2020

चन्द माहिए : क़िस्त 88

 क़िस्त 88


1

अच्छा ही किया तुमने

गिरने से पहले

जो थाम लिया तुमने


2

यादों में बसा रखना

अपनी दुआओं में 

मेरी भी दुआ रखना


3

पहले न कभी पूछा

भूल गया हूँ मैं ?

ऐसा क्योंकर सोचा ?


4

जब तेरे दर आया
हर चेहरा मुझ को

मासूम नज़र आया


5

सब याद है जान-ए-जिगर

तुम ने निभाया जो

एहसान मेरे सर पर 


-आनन्द.पाठक--

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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

चन्द माहिए : क़िस्त 87

 


क़िस्त 87


1

यूँ रूठ के चल देना

हौले से हँस कर

फिर बात बदल  देना


2

अबतक क्या कम भोगा ?

उल्फ़त में तेरे

जो होना है होगा


3

ख़ामोश सदा रहती

पहलू में आ कर

कुछ तुम भी तो कहती 


4

ये राज़ न खोलेगा

पूछ रही हो क्या

दरपन क्या बोलेगा


5

लहरा कर चलती हो

खुद से ही छुप कर 

जब छत पे टहलती हो

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-आनन्द.पाठक-


चन्द माहिए : क़िस्त 86

 क़िस्त 86


1

आँखें कुछ कहती हैं

पढ़ जो सको पढ़ लो

ख़ामोश क्यूँ रहती हैं


2

वादा न निभाते हो

तोड़ ही जब देना

क्यों क़स्में खाते हो


3

दिल से दिल की दूरी

तुम ने बना रख्खी

क्यों, क्या है  मजबूरी ?


4

क्यों बात कही आधी
और सुना माही !
है रात अभी बाक़ी


5

साने से ढला आँचल

कुछ तो कहता है

कुछ समझा कर, पागल !


-आनन्द.पाठक-