गुरुवार, 24 दिसंबर 2020

चन्द माहिए : क़िस्त 89

 

क़िस्त 89


1

वो जख़्म अगर देता

कौन सा जख़्म भला

जो वक़्त न भर देता 


2

आया है मेरा हमदम

बात मेरी उस ने

रख्खी तो कम से कम 


3

इतना ही काफी है

कोई ख़यालों में 

जीवन का साथी है


4

दुनिया के मेले में 

गाता रहता है

क्या दिल यह अकेले में 


5

उतरा है कोई मन में

फूल खिले मेरे

सुधियों के उपवन में 


कोई टिप्पणी नहीं: