क़िस्त 25
1
टूटा जो खिलौना है
ये तो होना था
किस बात का रोना है ?
2
नाशाद है खिल कर भी
प्यासी है नदिया
सागर से मिल कर भी
3
कुछ दर्द दबा रखना
मोती-से आँसू
पलकों में छुपा रखना
4
इतना तो बता देते
क्या थी ख़ता मेरी ?
फिर जो भी सज़ा देते
5
बस हाथ मिलाते हो
एक छलावा सा
रिश्ता न निभाते हो
सं 21-10-20