क़िस्त 25
1
टूटा जो खिलौना है
ये तो होना था
किस बात का रोना है ?
2
नाशाद है खिल कर भी
प्यासी है नदिया
सागर से मिल कर भी
3
कुछ दर्द दबा रखना
मोती-से आँसू
पलकों में छुपा रखना
4
इतना तो बता देते
क्या थी ख़ता मेरी ?
फिर जो भी सज़ा देते
5
बस हाथ मिलाते हो
एक छलावा सा
रिश्ता न निभाते हो
सं 21-10-20
2 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17-12-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2193 में दिया जाएगा
आभार
aap ka bahut bahut dhanyavaad
saadar
anand pathak
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