चन्द माहिया : क़िस्त 26
:1:
इतना तो कर साथी
आ जा चुपके से
कर दिल में घर साथी
:2:
साँसो का बन्धन है
टूटेगा कैसे ?
रिश्ता जो पावन है
:3:
दिल और धड़कने दो
रुख पर है पर्दा
कुछ और सरकने दो
:4:
अपनी तोआदत है
हुस्न परस्ती में
दिल राह-ए-जियारत है
:5:
करता हूँ ख़ता फिर भी
लाख ख़फ़ा हो कर
करता वो वफ़ा फिर भी
-आनन्द.पाठक-
[सं 13-06-18]
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