:1:
इठला कर चलता है
जैसा हो मौसम
ईमान बदलता है
:2:
एक आस अभी बाक़ी
तेरे आने तक
इक साँस अभी बाक़ी
:3:
क्या रंग-ए-क़यामत है
लहरा कर चलना
कुछ उसकी आदत है
:4:
गर्दिश में रहे जब हम
दूर खड़ी दुनिया
पर साथ खड़े थे ग़म
:5:
कब एक सा चलता है
सुख-दुख का मौसम
मौसम है, बदलता है
-आनन्द.पाठक-
[सं 13-06-18]
कुछ उसकी आदत है
:4:
गर्दिश में रहे जब हम
दूर खड़ी दुनिया
पर साथ खड़े थे ग़म
:5:
कब एक सा चलता है
सुख-दुख का मौसम
मौसम है, बदलता है
-आनन्द.पाठक-
[सं 13-06-18]
1 टिप्पणी:
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार! मकर संक्रान्ति पर्व की शुभकामनाएँ!
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
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