रविवार, 31 जनवरी 2016

चन्द माहिए: क़िस्त 28

चन्द माहिए : क़िस्त 28


:1:
हर बुत में नज़र आया
 वो ही दिखा सब में
जब दिल में उतर आया

:2:

जाना है तेरे दर तक
ढूँढ रहा हूँ मैं
इक राह तेरे घर तक

:3:

पंछी ने कब माना
मन्दिर मस्जिद का
होता है अलग दाना

:4:

किस मोड़ पे आज खड़े
क़त्ल हुआ इन्सां
मज़हब मज़ह्ब से लड़े

:5;

इक दो अंगारों से
 क्या समझोगे ग़म
दरिया का ,किनारों से

-आनन्द.पाठक-

[सं 01-10-20 ]


2 टिप्‍पणियां:

Prabhakar/ IndianTopBlogs ने कहा…

सुन्दर रचनाएं!

आनन्द पाठक ने कहा…

धन्यवाद प्रभाकर जी