शनिवार, 18 नवंबर 2023

मुक्तक

 मुक्तक 


लोग बैसाखियों के सहारे चले

जो चले भी किनारे किनारे चले

सरपरस्ती न हासिल हुई थी जिन्हे

वो समन्दर में कश्ती उतारे चले 



मंगलवार, 14 नवंबर 2023

दीपावली पर मुक्तक

सभी मित्रों को दिवाली की हार्दिक शुभकामना इन पंक्तियों के साथ :   

आप सबको दिवाली की शुभकामना
आप जैसे सखा हों तो क्या मांगना
आप का ’स्नेह’ आशीष’ मिलता रहे
रिद्धि सिद्धि करे पूर्ण मनोकामना

सबको दीपावली की सुखद रात हो
सुख की यश की भी सबको सौगात हो
आसमां से सितारे उतर आयेंगे
प्यार की जो अगर दिल में बरसात हो

सादर
-आनन्द.पाठक-
8800927181

बुधवार, 8 नवंबर 2023

ग़ज़ल 344 [19] : मैं दूर जा के भी उसको---

 

ग़ज़ल 344 [19]


1212---1122---1212---112


मैं दूर जा के भी उसको कभी भुला न सका

करीब था तो कभी हाल-ए-दिल सुना न सका


तमाम उम्र इसी  इन्तिज़ार में गुज़री,

गया था कह के, मगर लौट कर वो आ न सका ।


हर एक दौर में थीं साज़िशें मिटाने की

करम ख़ुदा का था कोई हमें मिटा न सका ।


ख़याल-ए-ख़ाम थे अकसर जगे रहे मुझमें

मैं चाह कर भी नज़र आप से मिला न सका ।


बना के ख़ाक से फिर ख़ाक में मिलाए क्यों

ये खेल आप का मुझको समझ में आ न सका


जिधर है दैर-ओ-हरम, है उधर ही मयख़ाना

किधर की राह सही है कोई बता न सका ।


तेरी तलाश में ’आनन’ कहाँ कहाँ न गया 

मुक़ाम क्या था? कहाँ था ? कभी मैं पा न सका ।


-आनन्द.पाठक--