शनिवार, 18 नवंबर 2023

मुक्तक

 मुक्तक 


लोग बैसाखियों के सहारे चले

जो चले भी किनारे किनारे चले

सरपरस्ती न हासिल हुई थी जिन्हे

वो समन्दर में कश्ती उतारे चले 



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