गीत ग़ज़ल और माहिया
-आनन्द पाठक -
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कविताएँ
कविता 001
: आप क्यों उदास रहते हैं--
कविता 002
: ये महानगर है--
कविता 003
: प्यासी धरती प्यासे लोग--
कविता 004
: तुम जला कर दीप--
कविता 005
: मृदुल अंकुर भी--
कविता 006
: कितने पौरुष वीर पुरुष हैं--
कविता 007
: सूरज निकल रहा है--
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