कविता 18 : कह न सका मैं---
कह न सका मैं
जो कहना था ।
मौन भाव से सब सहना था।
तुम ही कह दो।
शब्द अधर तक आते आते
ठहर गए थे।
अक्षर अक्षर बिखर गए थे।
आँखों में आँसू उभरे थे ।
पढ़ न सका मैं |
जो न लिखा था
तुम ही पढ़ दो।
कह न सकी जो तुम भी कह दो
कह न सका मैं , तुम ही सुन लो।
-आनन्द.पाठक-
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