बुधवार, 17 जुलाई 2024

एक समीक्षा : मौसम बदलेगा [ ग़ज़ल संग्रह] --की समीक्षा - नीरज गोस्वामी जी के द्वारा

 एक समीक्षा : मौसम बदलेगा [ ग़ज़ल संग्रह] --की समीक्षा - नीरज गोस्वामी जी के द्वारा


#नीरज #गोस्वामी -

हाँ यही नाम है उनका जिन्हे मैं --नीरज भाई - कह कर बुलाता हूँ । साहित्य और ब्लाग की दुनिया में एक जाना पहचाना और पुराना नाम। किसी परिचय का मोहताज़ नही । बहुमुखी प्रतिभा के धनी --’एक्टिंग- रंगमच से ले कर साहित्यिक मंचों तक। कलम के धनी।
अन्य किताबों के साथ साथ इनकी किताब #101 किताबें ग़ज़लों की# और -#डाली --#मोगरे #की --काफ़ी चर्चा में रही। #नीरज भाई के नाम के साथ एक समस्या यह है कि इनकी कुछ ग़ज़लो को लोग गोपाल दास ’नीरज" जी के नाम से मन्सूब कर देतें है ख़ास तौर पर होली के समय। फ़िर हम दोनों खूब हँसते है। सफ़ाई यह नहीं --मैं देता रहता हूँ।
आज उन्होने ही मेरी एक किताब ग़जल संग्रह ---मौसम बदलेगा-- पर अपनी एक समीक्षात्मक क़लम चलाई है। आप लोग भी पढ़े और अपनी राय से अवगत कराएँ।
लिन्क नीचे लगा रहा हूँ।


सादर
-आनन्द.पाठक-

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