बुधवार, 17 जुलाई 2024

ग़ज़ल 400 [ 42-A] : खोटे सिक्के हाथों में ले---

 ग़ज़ल 400 [42-A] 

21---121---121--122  // 21---121--121--122


 

खोटे सिक्के ले हाथों में, मोल लगाने लोग खड़े हैं

घड़ियाली आँसू से पूरित, दर्द जताने लोग खड़े हैं ।

 

आज धुँआ फिर से उठ्ठेगा, झुग्गी झोपड़पट्टी से ही 

कल जैसा ही दुहराने को, आग लगाने लोग खड़े हैं ।

 

बेच दिए रामायण-गीताआदर्शों की बात भुला कर

वाचन करने को तत्पर हैं, अर्थ बताने लोग खड़े हैं ।

 

दीन-धरम है बाक़ी अब भी  कुछ लोगों के दिल के अंदर

आग लगाने वालों सुन लो, आग बुझाने लोग खड़े हैं ।

 

दुनिया भर की बात करेंगे, चाँद सितारे हैं मुठ्ठी में

करना धरना एक नही कुछ, गाल बजाने लोग खड़े हैं  ।

 

शर्म--हया की बात कहाँ अब,जिस्म नुमाइश का फ़ैशन है

वाजिब है कुछ की नजरों मे, आज बताने लोग खड़े हैं।

 

आननतुम भी कैसी कैसी, झूठी बातों में आते हो

झूठे वादों से जन्नत की, सैर कराने लोग खड़े हैं ।

 

 

 

 

 

-आनन्द पाठक-



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