मंगलवार, 30 जुलाई 2024

ग़ज़ल 406[36 A] : रास्ते अब भी मिलेंगे ,आप चलिए तो सही

 ग़ज़ल 406[ 36 A]

2122---2122---2122---212


रास्ते अब भी मिलेंगे, आप चलिए तो सही ,

हौसले से दो क़दम खुद आप रखिए तो सही ।

 

लोग जो पत्थर से हैं वो ख़ुद बख़ुद गल जाएँगे,

बाँहों में भर कर गले से, आप लगिए तो सही ।

 

आदमी ज़िंदा कि मुर्दा चल पड़ेगा एक दिन ,

इन्क़लाबी जोश में कुछ आग भरिए तो सही ।

 

सोचते जो रह गए, बैठे हुए हैं आज तक ,

शीश ख़ुद परबत झुकाए, आप चढ़िए तो सही ।

 

गुनगुनाती बह चलेगी पत्थरों से निर्झरी 

दर्द कुछ अपनी ग़ज़ल में आप भरिए तो सही ।

 

इन अँधेरों की चुनौती तो नहीं इतनी बड़ी

प्यार का दीपक जला कर आप रखिए तो सही ।

 

हज़रत-ए-आनन ज़रा आँखें तो अपनी खोलिए

देश के हालात पर कुछ आप कहिए तो सही ।


-आनन्द.पाठक-

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