कविता 20 : जाने क्यों ऐसा लगता है---
जाने क्यों ऐसा लगता है ?
उसने मुझे पुकारा होगा
जीवन की तरुणाई में, अँगड़ाई ले
दरपन कभी निहारा होगा
शरमा कर फ़िर,
उसने मुझे पुकारा होगा ।
दिल कहता है
जाने क्यों ऐसा लगता है ?
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कभी कभी वह तनहाई में
भरी नींद की गहराई में
देखा होगा कोई सपना
छूटा एक सहारा होगा,
उसने मुझे पुकारा होगा
मन डरता है
जाने क्यों ऐसा लगता है ।
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सारी दुनिया सोती रहती
लेकिन वह
रात रात भर जागा करता , तारे गिनता
टूटा एक सितारा होगा
फिर घबरा कर
उसने मुझे पुकारा होगा ।
जाने क्यों ऐसा लगता है ॥
जाने क्यों ऐसा लगता है ।
-आनन्द.पाठक-
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