शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

कविता 19 : जाने यह कैसा बंधन है--

 कविता 19 : जाने यह कैसा बंधन है--


जाने यह कैसा बंधन है

गुरु-शिष्य का

वर्तमान से ज्यों भविष्य का ।

रिश्ता पावन ऐसे जैसे

स्तुति वाचन-ॠचा मन्त्र का,

गीत गीत से -छ्न्द छन्द का,

फ़ूल फ़ूल से - गन्ध गन्ध का,

जैसे पानी का चंदन से,

भक्ति भावना का वंदन से,

शब्द भाव का--नदी नाव का,

बिन्दु-परिधि का, केन्द्र-वृत्त का,

जीवन-घट का और मृत्तिका,

दीप-स्नेह का और वर्तिका ।

बाहों का मधु आलिंगन से

एक अदृश्य -सा अनुबंधन है ।

जाने यह कैसा बंधन है ।


-आनन्द.पाठक--


कोई टिप्पणी नहीं: