कविता 19 : जाने यह कैसा बंधन है--
जाने यह कैसा बंधन है
गुरु-शिष्य का
वर्तमान से ज्यों भविष्य का ।
रिश्ता पावन ऐसे जैसे
स्तुति वाचन-ॠचा मन्त्र का,
गीत गीत से -छ्न्द छन्द का,
फ़ूल फ़ूल से - गन्ध गन्ध का,
जैसे पानी का चंदन से,
भक्ति भावना का वंदन से,
शब्द भाव का--नदी नाव का,
बिन्दु-परिधि का, केन्द्र-वृत्त का,
जीवन-घट का और मृत्तिका,
दीप-स्नेह का और वर्तिका ।
बाहों का मधु आलिंगन से
एक अदृश्य -सा अनुबंधन है ।
जाने यह कैसा बंधन है ।
-आनन्द.पाठक--
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