[ स्व0] कवि धूमिल जी की प्रेरणा से और क्षमा याचना सहित ]
कविता 031: एक आदमी सड़क पर---
एक आदमी सड़क पर
दूसरे आदमी को पीट रहा है।
एक तीसरा आदमी भी है
जो न पीट रहा है, न पिट रहा है
न रोक रहा है।
वह मोबाइल से *रील* बना रहा है चैन से।
मैं पूछता हूँ वह तीसरा आदमी कौन है?
समाज इस पर मौन है ।
दूसरे आदमी को पीट रहा है।
एक तीसरा आदमी भी है
जो न पीट रहा है, न पिट रहा है
न रोक रहा है।
वह मोबाइल से *रील* बना रहा है चैन से।
मैं पूछता हूँ वह तीसरा आदमी कौन है?
समाज इस पर मौन है ।
-आनन्द.पाठक-
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