क़िस्त 88
1
अच्छा ही किया तुमने
गिरने से पहले
जो थाम लिया तुमने
2
यादों में बसा रखना
अपनी दुआओं में
मेरी भी दुआ रखना
3
पहले न कभी पूछा
भूल गया हूँ मैं ?
ऐसा क्योंकर सोचा ?
4
जब तेरे दर आया
हर चेहरा मुझ को
मासूम नज़र आया
5
सब याद है जान-ए-जिगर
तुम ने निभाया जो
एहसान मेरे सर पर
-आनन्द.पाठक--
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