क़िस्त 86
1
आँखें कुछ कहती हैं
पढ़ जो सको पढ़ लो
ख़ामोश क्यूँ रहती हैं
2
वादा न निभाते हो
तोड़ ही जब देना
क्यों क़स्में खाते हो
3
दिल से दिल की दूरी
तुम ने बना रख्खी
क्यों, क्या है मजबूरी ?
4
क्यों बात कही आधी
और सुना माही !
है रात अभी बाक़ी
और सुना माही !
है रात अभी बाक़ी
5
साने से ढला आँचल
कुछ तो कहता है
कुछ समझा कर, पागल !
-आनन्द.पाठक-
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