रविवार, 11 जून 2017

चन्द माहिया : क़िस्त 41

चन्द माहिया: क़िस्त 41

:1:

सदक़ात भुला मेरा
एक गुनह तुम को
बस याद रहा मेरा

:2:
इक चेहरा क्या भाया
हर चेहरे में वो
मख़्सूस नज़र आया

;3:

हो जाता हूँ पागल 
जब जब काँधे से
ढलता तेरा आँचल

:4:

उल्फ़त की यही ख़ूबी
पार लगा वो  ही
कश्ती जिसकी  डूबी

:5:

क्या और तवाफ़1 करूँ
 इतना ही समझा
 मन पहले साफ़ करूँ



-आनन्द.पाठक-
[सं 15-06-18]

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