रविवार, 15 अगस्त 2021

ग़जल 193 : आप महफ़िल में जब भी आते हैं

 2122---1212---112/22

ग़ज़ल 193

आप महफ़िल में जब भी आते हैं
साथ अपनी अना  भी लाते  हैं ।


चाँद तारों की बात तुम जानो
बात धरती की हम सुनाते हैं


जब भी आता चुनाव का मौसम
ख़्वाब क्या क्या न वो दिखाते हैं


वक़्त सबका हिसाब करता है
लोग क्यों ये समझ न पाते हैं


बेसबब बात वो नहीं करते
बेगरज़ हाथ कब मिलाते हैं 


अब परिन्दे न लौट कर आते 
गाँव अपना जो छोड़ जाते हैं


इस जहाँ की यही रवायत है
लोग आते हैं ,लोग जाते हैं


तुम भी क्यों ग़मजदा हुए ’आनन’
लोग रिश्ते न जब निभाते हैं


-आनन्द पाठक-

अना    = अहंकार ,घमंड

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